कोरोना वायरस के नए सब-वेरिएंट से एक बार फिर महामारी का खतरा मंडराने लगा

कोरोना वायरस का नया वेरिएंट एरिस या ईजी.5.1 सामने आ गया है. इसको लेकर दुनिया भर में एक बार फिर महामारी की लहर आने की आशंका जताई जा रही है. इस नए वैरिएंट को 31 जुलाई 2023 को ही पहचाना गया है

News jungal desk : कोरोना वायरस का मामला भले ही दुनिया में थमता हुआ नजर आ रहा हो लेकिन इसका स्वरूप लगातार बदल रहा है इस बीच कोरोना वायरस का नया वेरिएंट एरिस व ईजी 5.1 सामने आया है। इस नए वेरिएंट को लेकर दुनिया भर में एक बार फिर माहामारी का खतरा मंडराने लगा है । हालांकि इस बीच जानकारी सामने आई है कि जो वायरस ब्रिटेन में तेजी से फैल रहा है, वो भारत में पहले से ही मौजूद है. महाराष्ट्र में इस नए वेरिएंट का मामला भी सामने आ चुका है ।

पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश कार्यकार्ते ने टीओआई को बताया कि ईजी.5.1 वेरिएंट का मई में महाराष्ट्र में पता चला था । चूंकि इसका पता चलने के बाद दो महीने बीत चुके हैं और जून और जुलाई में कोविड में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई है, इसलिए यह सब-वेरिएंट कोई प्रभाव डालता नहीं दिख रहा है. अभी भी भारत में XBB.1.16 और XBB.2.3 सब-वेरिएंट हावी हैं. राज्य स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सक्रिय मामलों की संख्या जुलाई के अंत में 70 से बढ़कर 6 अगस्त को 115 हो गई.

सोमवार को राज्य में मामलों की संख्या 109 थी. नए ओमीक्रॉन सब-वेरिएंट ईजी.5.1 ने हाल ही में यूके में चिंताएं पैदा कर दीं, जिससे वहां स्वास्थ्य अलर्ट जारी कर दिया गया. यूके में EG.5.1 सबवेरिएंट का तेजी से प्रसार हो रहा है, जिसे “एरिस” नाम दिया गया है. इस सब-वेरिएंट के कारण संक्रमण में वृद्धि के बाद, इसे 31 जुलाई को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई थी. डॉ. कार्यकार्टे ने कहा कि ईजी.5.1 ओमिक्रॉन एक्सबीबी.1.9 का एक उप-स्ट्रेन है, जो अब तक भारत में मामलों पर हावी नहीं हो पाया है.

कोरोना वायरस का मामला भले ही दुनिया में थमता हुआ नजर आ रहा हो. लेकिन इसका स्वरूप लगातार बदल रहा है. इस बीच कोरोना वायरस का नया वेरिएंट एरिस व ईजी 5.1 सामने आया है. इस नए वेरिएंट को लेकर दुनिया भर में एक बार फिर माहामारी का खतरा मंडराने लगा है. हालांकि इस बीच जानकारी सामने आई है कि जो वायरस ब्रिटेन में तेजी से फैल रहा है, वो भारत में पहले से ही मौजूद है. महाराष्ट्र में इस नए वेरिएंट का मामला भी सामने आ चुका है.

पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश कार्यकार्ते ने टीओआई को बताया कि ईजी.5.1 वेरिएंट का मई में महाराष्ट्र में पता चला था. चूंकि इसका पता चलने के बाद दो महीने बीत चुके हैं और जून और जुलाई में कोविड में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई है, इसलिए यह सब-वेरिएंट कोई प्रभाव डालता नहीं दिख रहा है. अभी भी भारत में XBB.1.16 और XBB.2.3 सब-वेरिएंट हावी हैं. राज्य स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सक्रिय मामलों की संख्या जुलाई के अंत में 70 से बढ़कर 6 अगस्त को 115 हो गई.

सोमवार को राज्य में मामलों की संख्या 109 थी. नए ओमीक्रॉन सब-वेरिएंट ईजी.5.1 ने हाल ही में यूके में चिंताएं पैदा कर दीं, जिससे वहां स्वास्थ्य अलर्ट जारी कर दिया गया. यूके में EG.5.1 सबवेरिएंट का तेजी से प्रसार हो रहा है, जिसे “एरिस” नाम दिया गया है. इस सब-वेरिएंट के कारण संक्रमण में वृद्धि के बाद, इसे 31 जुलाई को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई थी. डॉ. कार्यकार्टे ने कहा कि ईजी.5.1 ओमिक्रॉन एक्सबीबी.1.9 का एक उप-स्ट्रेन है, जो अब तक भारत में मामलों पर हावी नहीं हो पाया है.

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