Motivational Story : कानपुर के एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का कैसे बन गया हीरो ?

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Motivational Story : कानपुर के एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का कैसे बन गया हीरो ?इस शुक्रवार तमाम हिंदी, अंग्रेजी व अन्य भाषाओं की फिल्मों के बीच नए प्रोडक्शन हाउस कथाकार फिल्म्स की एक यूथ फिल्म ‘मैं लड़ेगा (Motivational Story) कानपुर के एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का कैसे बन गया हीरो ? भी रिलीज हो रही है। निर्देशक गौरव राणा के निर्देशन में बनी ये फिल्म बहुत मायनों में अलग है।

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फिल्म के हीरो हैं, आकाश प्रताप सिंह (Provacative Story Of Akash Pratap Singh) जो इसके पहले नीरज पांडे की फिल्म ‘बेबी’ में अपने मोनोलॉग से दर्शकों के दिल जीत चुके हैं। फिल्म की कहानी कुछ-कुछ उनकी अपनी सी है और उनकी असल कहानी कुछ कुछ फिल्मी सी है।

आकाश प्रताप सिंह का करियर (Inspireational story of akash pratap singh)

बस बालिग हो ही पाए थे आकाश (inspired story in hindi) कि एक दिन वह अपनी मम्मी अनीता सिंह को बताकर कानपुर से मुंबई आने वाली ट्रेन में बैठ गए और यहां रात में छत्रपति शिवाजी टर्निमस पर उतरे तो शहर में इकलौते परिचित ने फोन नहीं उठाया और मुंबई की पहली रात उनकी स्टेशन पर ही काली हुई।

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तब से करीब 12 साल बाद आकाश प्रताप सिंह (encourage story in hindi) की बतौर हीरो पहली फिल्म ‘मैं लड़ेगा’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई । हॉस्टल नासिक के वॉर मेमोरियल में रहकर स्कूली पढ़ाई करने वाले आकाश ने अपने उन दिनों के अनुभवों को अपनी इस फिल्म में पिरोया है।

‘मैं लड़ेगा’ आकाश प्रताप सिंह की दृढ़ संकल्प की कहानी (Determination of Akash Pratap Singh in Main Ladega)

यह फिल्म एक ऐसे छात्र की कहानी है जिसे स्कूल के दबंग छात्र खूब परेशान करते हैं और फिर वह एक दिन न झुकने की ठान लेता है और कहता है, ‘मैं लड़ेगा’। आकाश (इंस्पिरेशनल स्टोरी इन हिंदी) बताते हैं कि मुंबई वह सिर्फ अपनी मां और नानी का आशीर्वाद लेकर आए थे। फौज से सेवानिवृत पिता योगेंद्र प्रताप सिंह कभी नही चाहते थे कि हीरो बनने के लिए उनका बेटा मुंबई जाए।

अपने पहले ही ऑडीशन के बाद चल पड़ा आकाश का करियर (Instigational story of Akash Pratap Singh in Main Ladega)

मुंबई आते ही आकाश ने चैनल वी के धारावाहिक ‘गुमराह’ के लिए दिए अपने पहले ही ऑडीशन में सफलता पाई। हालांकि, इसका मेहनताना टैक्स काटकर उन्हें तीन महीने बाद मिला, लेकिन यहां से उनकी गाड़ी चल निकली। निर्देशक नीरज पांडे की फिल्म ‘बेबी’ को आकाश (बेस्ट मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी) अपना टर्निंग प्वाइंट मानते हैं जिसमें अक्षय कुमार के सामने उनका एक छोटा सा लेकिन बेहद अहम रोल लोगों को याद रह गया।

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आकाश मानते हैं कि बिना किसी फिल्मी पृष्ठभूमि के बाहर से आने वाले लोगों का सफर मुंबई में बहुत मुश्किल होता है। लेकिन, वह यह भी कहते हैं कि अगर इरादे पक्के हों और हौसला मजबूत हो तो कामयाबी तो मिलती ही है, बस कोशिशें बंद नहीं होनी चाहिए। जल्द ही आकाश (real life story in hindi) कानपुर आकर उसी रामा देवी चौराहे पर अपनी फिल्मी यात्रा का जश्न मनाना चाहते हैं, जहां , न जाने उन्होंने कितने दिन मस्ती करते हुए बिताए।

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