अब AI की मदद से जानवरों से बात कर सकेंगे इंसान, हाथियों की आवाज पहचान रहे साइंटिस्ट

कुछ समय पहले साइंटेफिक कम्युनिटी इस बात को मानने को तैयार नहीं थी कि जानवरों की अपनी भाषाए हो सकती हैं। वही, आज दुनिया भर के शोधकर्ता जानवरों की बात सुनने और उनसे संवाद करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।

Technical Desk: कुछ समय पहले साइंटेफिक कम्युनिटी इस बात को मानने को तैयार नहीं थी कि जानवरों की अपनी भाषाए हो सकती हैं। वही, आज दुनिया भर के शोधकर्ता जानवरों की बात सुनने और उनसे संवाद करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। बता दे कि अपनी नई किताब ‘द साउंड्स ऑफ लाइफ: हाउ डिजिटल टेक्नोलॉजी इज ब्रिंगिंग अस क्लोजर टू द वर्ल्ड्स ऑफ एनिमल्स एंड प्लांट्स’ में ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर करेन बकर ने जानवरों और पौधों के कम्युनिकेशन में कुछ सबसे अहम एक्सपेरीमेंट की रूप रेखा तैयार की है।

इस पर यूबीसी इंस्टीट्यूट फॉर रिसोर्सेज, एनवायरनमेंट और सस्टेनेबिलिटी के निदेशक बकर का कहना है कि डिजिटल लिस्निंग पोस्ट का उपयोग अब रैन फॉरेस्च से लेकर समुद्र के तल तक ग्रह के चारों ओर इको सिस्टम की साउंड को रिकॉर्ड करने के लिए किया जा रहा है। वही प्रोफेसर करेन बकर कहती हैं कि डिजिटल टेक्नोलॉजी अक्सर प्रकृति से हमारे अलगाव से जुड़ी होती हैं। साथ ही हमें नॉन ह्यूमन्स को बेहतर तरीके से सुनने का अवसर प्रदान कर रही है और प्राकृति से हमारा संबंध में रिवाइव कर रही है।

मधुमक्खियों को किया कंट्रोल
जर्मनी की शोधकर्ताओं की एक टीम का हवाला देती है, जिसने छोटे रोबोटों को हनीबी वैगल डांस करना सिखाया है। इन डांसिंग मशीनों का उपयोग करके, वैज्ञानिक मधुमक्खियों को मूव करने से रुकने का आदेश दे सकते हैं। साथ ही यह बता सकते हैं कि एक स्पेसिफिक नेक्टर को इकट्ठा करने के लिए कहां उड़ना है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक की मदद से इंसान, जानवरों से बात भी कर पाएंगे और उन्हें कंट्रोल भी कर पाएंगे।

इन्फ्रासाउंड सिग्नल बनाते हैं हाथी
बकर bioacoustics वैज्ञानिक केटी पायने और उनके ऐलिफेंट कम्युनिकेशन को लेकर उनकी रिसर्च के बारे में भी बताती है कि केटी पायने ने सबसे पहले पाया कि हाथी इन्फ्रासाउंड सिग्नल बनाते हैं, जिन्हे इंसान नहीं सुन सकते हैं। वह मिट्टी और पत्थरों की मदद से लंबी दूरी तक मैसेद भेज सकते हैं। वैज्ञानिकों ने तब पाया कि हाथियों के पास मधुमक्खी और मानव के लिए अलग-अलग संकेत हैं।

हाथियों की आवाज पहचान रहे हैं वैज्ञानिक
करेन बकर ने बताया कि वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की मदद से हाथियों की लो-फ्रीक्वेंसी आवाजों को पहचान रहे हैं। इसके साथ ही मधुमक्खियों के डगमगाने को भी वे समझ पा रहे हैं। प्रो बैकर के अनुसार, इस तकनीक की मदद से इंसान, जानवरों से बात भी कर पाएंगे और उन्हें कंट्रोल कर पाएंगे। जानवरों से बात करने वाली AI तकनीक को भविष्य में रोबोट्स में लगाया जा सकता है। इससे दो प्रजाति के बीच कम्यूनिकेशन भी संभव होगा। यह एक बड़ी कामयाबी साबित हो सकती है। प्रो बैकर का यह भी कहना है कि इस तकनीक के कुछ संभावित नुकसान भी हैं।

कोरल रीफ्स का जिक्र
बकर की किताब में कोरल रीफ्स का भी जिक्र किया गया है। वह बताती हैं कि एक स्वस्थ कोरल रीफ अंडर वॉटर सिम्फनी की तरह आवाज निकाल सकता है। अगर आप अल्ट्रासोनिक में सुन सकते हैं, तो आप कोरल को भी सुन सकते हैं। AI का इस्तेमाल करके वैज्ञानिक स्वस्थ कोरल रीफ की आवाज निकाल कर कुछ क्षेत्रों को फिर से आबाद कर सकते हैं।

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