AAP उम्मीदवार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 3 फरवरी को होगी सुनवाई…

उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त पीठासीन अधिकारी ने कुछ पार्षदों के हंगामे के बाद एमसीडी सदन की बैठक को पिछले मंगलवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया था!

न्यूज जंगल डेस्क :- दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर और डिप्टी मेयर पद का चुनाव दो बार हंगामे की भेंट चढ़ चुका है. इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) की मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय ने समय से चुनाव कराने के वास्ते सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है

ओबेरॉय ने चुनाव समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी!

शीर्ष अदालत ने याचिका पर तीन फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर शुक्रवार को सहमति जताई

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “इसे तीन फरवरी को सूचीबद्ध किया जाएगा

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एमसीडी के मेयर पद का चुनाव जल्द कराने के संबंध में ओबेरॉय की दलीलों पर संज्ञान लिया.

गौरतलब है कि पिछले मंगलवार को मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव एमसीडी इलेक्शन के बाद निर्वाचित 250 सदस्यों की छह जनवरी को हुई पहली बैठक में किया जाना था, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों के एक दूसरे से भिड़ गए थे

उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त पीठासीन अधिकारी ने कुछ पार्षदों के हंगामे के बाद एमसीडी सदन की बैठक को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया था

पिछले मंगलवार को नवनिर्वाचित एमसीडी सदस्यों की पहली बैठक में ‘आप’ पार्षदों ने पहले 10 मनोनीत सदस्यों को शपथ दिलाने के पीठासीन अधिकारी के फैसले का विरोध किया था.

चुनाव के मद्देनजर नगरपालिका भवन और सिविक सेंटर परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे.

बता दें कि इस चुनाव के बाद पूरी दिल्ली (Delhi ) का 10 साल बाद एक अकेला मेयर होगा

‘आप’ और बीजेपी के पार्षदों ने नारेबाजी भी की. इस दौरान बीजेपी पार्षदों ने जय श्री राम के नारे लगाए.

दिल्ली में एमसीडी के चुनाव चार दिसंबर को हुए थे और वोटों की गिनती 7 दिसंबर को हुई थी. ‘आप’ ने 134 वार्ड जीतकर एमसीडी में बीजेपी के 15 साल के शासन को खत्म कर दिया था

बीजेपी ने एमसीडी के 250 सदस्यीय सदन में 104 वार्ड में जबकि कांग्रेस (Congress ) ने नौ वार्ड में जीत दर्ज की

दिल्ली नगर निगम का गठन अप्रैल 1958 में हुआ था और उसके मेयर के पास 2012 तक प्रभावशाली शक्तियां थीं. साल 2012 में निगम का तीन अलग-अलग नगर निगमों में विभाजन हुआ और प्रत्येक निगम का अपना मेयर बना

मेयर के चुनाव के लिए दिल्ली के 250 पार्षद, सात लोकसभा तथा तीन राज्यसभा सांसद और विधानसभा द्वारा मनोनीत 14 विधायक मतदान करेंगे, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष (Delhi Assembly Speaker) ने बीजेपी के एक विधायक और ‘आप’ के 13 विधायकों को मतदान (vote )करने के लिए नामित किया है!

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