मुंबई में खसरे के प्रकोप का मुख्य कारण वायरस का’D8′ स्ट्रेन है

मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई और दूसरे कई इलाकों में खसरे के ताजा प्रकोप के पीछे खसरा वायरस का ‘D8’ स्ट्रेन है. खसरा वायरस का ‘D8’ स्ट्रेन महाराष्ट्र में पिछले कई साल से मौजूद है

न्यूज जंगल हेल्थ डेस्क :- मुंबई शहर में चल रहे खसरे का प्रकोप मुख्य रूप से वायरस के ‘D8’ स्ट्रेन के कारण है और खसरे के पॉजिटिव नमूनों की जांच से ये पता चला है । इस शुरुआती खोज ने खसरा के प्रकोप के लिए खसरा के वायरस में म्यूटेशन होने की आशंका को खत्म कर दिया है और क्योंकि डी8 महाराष्ट्र राज्य में पिछले कई दशकों से मौजूद है. बहरहाल राज्य में संदिग्ध खसरे से मरने वालों की संख्या शुक्रवार को बढ़कर 9 हो गई, जिसमें मुंबई के 8 लोग शामिल हैं और D8 का सबसे पहला उल्लेख 2002 में जर्नल ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी के एक पेपर में किया गया है और जिसमें कहा गया है कि 1996-1998 के दौरान पुणे में जीनोटाइप D8 को पाया गया था ।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने मुंबई और राज्य के अन्य हिस्सों में फैल रहे खसरे के प्रकोप के नमूनों का अध्ययन किया गया है राज्य के निगरानी अधिकारी डॉ प्रदीप आवटे ने इन शुरुआती निष्कर्षों की पुष्टि करी है जो डी8 को खसरे के प्रकोप के मुख्य जीनोटाइप के रूप में दिखाते हैं और डॉ आवटे ने बताया कि महाराष्ट्र में डी8 स्ट्रेन काफी लंबे समय से है और निष्कर्ष बताते हैं कि प्रकोप वायरस में किसी भी बदलाव के कारण नहीं हुआ है. और कोरोना महामारी के कारण खसरे के टीकाकरण में कमी आई है ।

आप को बता दे कि पिछले साल के मुकाबले इस साल राज्य में खसरे के 29 प्रकोपों की सूचना मिली है । और इनमें से 17 मुंबई में, सात भिवंडी में और पांच मालेगांव में हुए थे और मुंबई में गोवंडी और कुर्ला ने पांच-पांच प्रकोपों को सूचना दिया है राज्य में खसरे के संदिग्ध मामले 6,500 (मुंबई में 2,860) को पार हो गए हैं और पुष्ट मामले 510 से ज्यादा हैं. जिनमें मुंबई के 176 मामले शामिल हैं. इस समय खसरे से बीमार लगभग 137 बच्चे अस्पताल में हैं और जिनमें 7 ऑक्सीजन पर और 2 वेंटिलेटर पर हैं और डॉ आवटे ने कहा कि खसरे का प्रकोप मुख्य रूप से उन इलाकों में हुआ है और जहां असरदार तरीके से खसरे का टीकाकरण नहीं किया गया है । इसके साथ ही पोषण और स्वच्छता की कमी वाले इलाकों में भी खसरे के मामलों की संख्या और गंभीरता बढ़ गई है ।

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