सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जाति के लोगों के लिए आरक्षण की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को पक्ष रखने के लिए 3 सप्ताह का समय दिया है.
न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : धर्म बदलने के वावजूद आरक्षण जारी रहने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करने को बोला है. भले ही वे इस्लाम, ईसाई, बौद्ध या हिंदू धर्म से किसी भी धर्म में परिवर्तित हो गए हों. सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जाति के लोगों के लिए आरक्षण की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है. और सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को पक्ष रखने के लिए 3 सप्ताह का समय दिया है.
आपको बता दें कि पिछले साल रविशंकर प्रसाद ने आरक्षण को लेकर राज्यसभा में एक अहम बयान दिया था. वो उस वक्त कानून मंत्री थे. उन्होंने कहा था कि अनुसूचित जाति के जिन लोगों ने इस्लाम या ईसाई धर्म अपना लिया है, वे सरकारी नौकरियों में आरक्षण के फायदे लेने का दावा नहीं कर सकते हैं. उन्होंने ये बी कहा था कि ये लोग संसद और विधानसभा के लिए आरक्षित सीटों पर भी चुनाव लड़ने के योग्य नहीं माने जाएंगे. सिर्फ हिंदू, सिख और बौद्ध ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के हकदार होंगे.
बता दें कि सिर्फ हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म के अनुसूचित जाति समुदाय के लोग आरक्षण और दूसरी सुविधाओं का फायदा उठा सकते है. पहले ये व्यवस्था सिर्फ हिन्दू धर्म के SC समुदाय के लिए थी. लेकिन बाद में 1956 में इसमें सिख और बौद्ध को भी जोड़ दिया गया. लेकिन अगर कोई इस्लाम या ईसाई में धर्म बदलता है तो उसे आरक्षण या दूसरी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है. लेकिन अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोग किसी भी धर्म में रहे कन्वर्ट हो, उन्हें सारे फायदे मिलते रहेंगे.
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