चीनी सैनिकों ने फिर दिखाई दादागीरी, लद्दाख में भारतीय चरवाहों को रोका

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पारंपरिक चरागाह में भारतीय चरवाहों द्वारा अपने पशुओं को चराने को लेकर विवाद हुआ. चीन के सैनिकों ने आपत्ति जताई. आपको बता कि इस मसले को दोनों देशों ने कमांडर स्तर की वार्ता में सुलझा लिया. सेना के सूत्रों के मुताबिक किसी तरह के फेसऑफ, धक्कामुक्की या बैनर ड्रिल की नौबत नहीं आई. है

न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : पूर्वी लद्दाख में एक बार फिर चीन की सेना (PLA) द्वारा भारतीय चरवाहों को अपने पशुओं को चराने से रोके जाने का मामला सामने आया है. सूत्रों की मानें तो पिछले हफ्ते पारंपरिक चरागाह में भारतीय चरवाहों द्वारा अपने पशुओं को चराने को लेकर विवाद हुआ था . चीन के सैनिकों ने आपत्ति जताई. हालांकि, इस मसले को दोनों देशों ने कमांडर स्तर की वार्ता में सुलझा लिया. है सेना के सूत्रों के मुताबिक किसी तरह के फेसऑफ, धक्कामुक्की या बैनर ड्रिल की नौबत नहीं आई. यह घटना डेमचौक के सैंडल पास के चार्डिंग निंगलुंग नाला (CNN) के ट्रैक जंक्शन की बताई गई है.

पीटीआई-भाषा के मुताबिक गत 21 अगस्त को कुछ भारतीय चरवाहे एलएसी के पास गए थे. वे भारतीय सीमा में ही थे, लेकिन पीएलए ने उनकी मौजूदगी पर आपत्ति जताई और उनसे वापस चले जाने को कहा. रिपोर्ट के मुताबिक इस इलाके में अक्सर दोनों देशों की सेनाएं सीमा उल्लंघन को लेकर आपत्ति दर्ज कराती रहती हैं. यह मामला सामने आने के बाद भारतीय और चीन के सैन्य अधिकारियों ने बातचीत की और विवाद की स्थिति नहीं उत्पन्न होने दी. यह घटना जिस इलाके की है, एलएसी पर फ्रिक्शन पॉइंट के पास स्थित है और यहां 2020 से दोनों देशों की सेनाएं तैनात हैं.  और मामले से अवगत सैन्य अधिकारियों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि  इस इलाके में ऐसी घटनाएं इसलिए होती हैं, क्योंकि यहां एलएसी क्लियर नहीं है और दोनों ही देश अपने.अपने हिसाब से एलएसी को मानते हैं.

दरअसल पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है. और जून 2020 में गलवान घाटी में हुए टकराव के बाद दोनों देशों के संबंधों में काफी गिरावट आई है. पिछले सप्ताह विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट कहा था कि भारत और चीन के संबंध बहुत बुरे दौर से गुजर रहे हैं. उन्होंने गलवान घाटी में हुए संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा था कि अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. और गत जुलाई में भारत और चीन के बीच 16वें दौर की सैन्य वार्ता हुई थी. इतनी बार की बातचीत के बावजूद सीमा पर डिसइंगेटमेंट को लेकर दोनों देश किसी समाधान पर नहीं पहुंच सके हैं. पैंगोंग त्सो और गोगरा हॉट स्प्रिंग इलाके में अब भी दोनों देशों के सैनिक तैनात हैं. इसके अलावा यहां भारत और चीन दोनों ने उन्नत हथियार भी तैनात कर लिए हैं.

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