हल्द्वानी अतिक्रमण मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे से पूछा कि लोग कई सालों से वहां रह रहे हैं. उनके पुनर्वास के लिए कोई स्किम? आप केवल 7 दिनों का समय दे रहे हैं और कह रहे हैं खाली करो. यह मानवीय मामला है. शीर्ष अदालत ने पूछा कि जिन लोगों ने नीलामी में लैंड खरीदा है, उसे आप कैसे डील करेंगे? लोग 50/60 वर्षों से वहां रह रहे हैं. उनके पुनर्वास की कोई योजना तो होनी चाहिए ।

न्यूज जंगल नेशनल डेस्क :- सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया है । शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 7 फरवरी तय करी है । उत्तराखंड सरकार और रेलवे को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है । और जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस । ओक की बेंच ने मामले में सुनवाई की. याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील कोलिन ने बहस की शुरुआत करी है । उन्होंने शीर्ष अदालत के सामने नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश को पढ़ा और बोला कि वहां पक्के निर्माण हैं । स्कूल और कॉलेज हैं । याचिकाकर्ताओं के वकील ने शीर्ष अदालत से बोला कि प्रभावित होने वाले लोगों का पक्ष पहले भी नहीं सुना गया था और फिर से वही हुआ है । हमने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी. रेलवे के स्पेशल एक्ट के तहत हाई कोर्ट ने कार्रवाई करके अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया ।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि उत्तराखंड या रेलवे की तरफ से कौन है? रेलवे का पक्ष रखते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने शीर्ष अदालत को बताया कि कुछ अपील पेंडिंग हैं । लेकिन किसी भी मामले में कोई रोक नहीं है । सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि लोग कई सालों से वहां रह रहे हैं । उनके पुनर्वास के लिए कोई स्किम? आप केवल 7 दिनों का समय दे रहे हैं और कह रहे हैं खाली करो. यह मानवीय मामला है । कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है । उत्तराखंड सरकार की तरफ से कौन है? सरकार का स्टैंड क्या है । इस मामले में? शीर्ष अदालत ने पूछा कि जिन लोगों ने नीलामी में लैंड खरीदा है । उसे आप कैसे डील करेंगे? लोग 50/60 वर्षों से वहां रह रहे हैं । उनके पुनर्वास की कोई योजना तो होनी चाहिए । और सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि 50,000 लोगों को रातोंरात नहीं उजाड़ा जा सकता है ।

सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी से बोला है कि , ‘ऐसा नही है कि आप विकास के लिए अतिक्रमण हटा रहे हैं । आप सिर्फ अतिक्रमण हटा रहे हैं.’ रेलवे ने अपने जवाब में कहा है ‘यह फैसला रातों-रात नही हुआ है नियमों का पालन हुआ है । यह मामला अवैध खनन से शुरू हुआ था । और याचिकाकर्ताओं के वकील कोलिन ने कहा, ‘लैंड का बड़ा हिस्सा राज्य सरकार का है । रेलवे की भूमि कम है । जस्टिस कौल ने कहा, ‘हमें इस मामले को सुलझाने के लिए तर्कसंगत दृष्टिकोण अपनाना होगा । कुछ लोगों के पास 1947 से पहले के भी पट्टे हैं । याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि इस मामले में कुछ लोगों ने नीलामी में जमीनें खरीदी हैं । और लोगों से 7 दिनों में भूमि खाली कराने का फैसला सही नहीं है.’ इसके साथ सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है ।

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