क्यों कांगड़ा का किला जीतने वाले को मिलता है हिमाचल का ताज

हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को मतदान होना है। चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को घोषित होंगे । 2017 में बीजेपी ने 68 सदस्यीय विधानसभा में 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटें मिली थीं

न्यूज जंगल डेस्क :- हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। सत्ताधारी बीजेपी जहां दो दशक की सियासी परंपरा को खत्म कर लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की कोशिश में है, वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस पांच साल बाद दोबारा शिमला की गद्दी पाने के लिए हाथ-पैर मार रही है। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में 1990 के दशक से ही सत्ता हर पांच साल में बदल जाती है ।

क्या कहते हैं चुनावी आंकड़े?

आंकड़ों पर गौर किया जाये तो राज्य के पूर्वी हिस्से यानी पहाड़ी इलाकों में कांग्रेस 1993  के चुनाव से ही से लगातार अच्छा प्रदर्शन करती आ रही है। सिर्फ 2007 में बीजेपी को कांग्रेस से महज एक फीसदी अधिक वोट मिले हैं। 1993 में कांग्रेस को 52% जबकि बीजेपी को 34%, 1998 में कांग्रेस को 45%, जबकि बीजेपी को 32%, 2003 में कांग्रेस को 39%, जबकि बीजेपी को 39%, 2007 में कांग्रेस को 41%, जबकि बीजेपी को 42%, 2012 में कांग्रेस को 43%, जबकि बीजेपी को 38% और 2017 में कांग्रेस को 41% जबकि बीजेपी को 48% वोट मिले हैं. 

राज्य के पहाड़ी हिस्से पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहे हैं। इन इलाकों से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, ठाकुर रामलाल और यशवंत सिंह परमार समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेता हुए हैं। इनके अलावा पूर्वी हिस्से में कांग्रेस की मजबूती का एक बड़ा कारण अनुसूचित जाति और जनजाति वोट बैंक का समर्थन भी रहा है। राज्य में इन दोनों वर्गों का करीब 30 फीसदी वोट शेयर है।

जिसने जीता किला, उसकी बनी सरकार:

अब बात पश्चिमी हिस्से की है। कहा जाता है कि जिसने कांगड़ा का किला जीता, शिमला में उसकी सरकार बनी। कांगड़ा, ऊना और चंबा इसी इलाके में आता है। यह मैदानी क्षेत्र है। इन तीन जिलों से ही विधानसभा की 25 सीटें आती हैं। बीजेपी लगातार इस इलाके में 40 फीसदी वोट पर कब्जा बनाए हुए है।

यह भी पढ़ें :- राजीव गांधी की हत्या के 6 दोषी सलाखों से आएंगे बाहर, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *