चीन का शुक्र अभियान का प्लान के आज के हालात क्या हैं मायने

चीनी अंतरिक्ष अधिकारी के मुताबिक चीन ग्रहों के लिए अपने अभियानों में शुक्र ग्रह के लिए अभियान शामिल करने पर विचार कर रहा है.

कानपुर न्यूज जंगल डेस्क : चीन (China) अंतरिक्ष के क्षेत्र में महाशक्ति बनने का भरपूर प्रयास कर रहा है. उसका इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तैयार हो रहा है. मंगल पर उसका रोवर सफलता पूर्वक घूम रहा है. वह चांद से धरती पर नमूने लाने वाला दूसरा देश हो चुका है. चंद्रमा के पीछे की ओर यान भेजने वाला वह पहला देश है.वहीं रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के चलते अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ने से  रूस ने अमिरका को अपने अभियानों से बाहर दिया. अब चीन की निगाहें सौरमंडल में दूसरे ग्रहों और क्षुद्रग्रहों के लिए अभियानों पर हैं जिनमें शुक्र ग्रह (Venus) के लिए एक अभियान होगा.

मंगल से आगे अब शुक्र
चीनी अंतरिक्ष अधिकारी के मुताबिक चीन ग्रहों के लिए अपने अभियानों में शुक्र ग्रह के लिए अभियान शामिल करने पर विचार कर रहा है. चीन का पहला पहला अंतरग्रहीय अभियान तियानवेन-1 को मंगल के लिए साल 2020 में प्रक्षेपित किया था. लेकिन यह अभियान अकेले शुक्र ग्रह के लिए ही नहीं होगा.

भावी अभियान का संकेत
चीन के लूनार एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम के प्रमुख डिजाइनर  वू वियरेन ने इस महीने के शुरू में चीनी मीडिया को बताया था कि तियानवेन 2, 3, और 4 अभियान मंगल अभियान के बाद काम करने के तैयार हो रहे हैं. इन अभियानों की विस्तार से जानकारी तो नहीं दी गई, लेकिन हाल ही में एक अंतरिक्ष श्वेत पत्र में चीन ने अपने भावी अभियानों का जिक्र किया था.विज्ञापन

कौन से अभियान
इन भावी अभियानों में क्षुद्रग्रह से नमूने लाने, धूमकेतू की यात्रा, मंगल से नमूने लाने  और गुरु ग्रह के लिए एक प्रोब भेजना शामिल है. वू ने इस इंटरव्यू में कहा था कि चीन शुक्र ग्रह के लिए अन्वेषण को अपने लक्ष्यों में जोड़ रहा है. इसके साथ वू ने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी  है. यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि चीनी वैज्ञानिकों ने पिछले दशक में ही शुक्र ग्रह के लिए एक अभियान का प्रस्ताव दे दिया था.

बहुत पहले ही दे दिए गए थे प्रस्ताव
चीनी वैज्ञानिकों के ये प्रस्ताव  उस समय स्वीकार नहीं किए गए थे. 2014 के शोधपत्र के मुताबिक ऑर्बिटर अभियान में शुक्र के वायुमंडल, आयानमंडल और मैग्नेटोस्फियर के अध्ययन का प्रस्ताव दिया गया था. शुक्र ग्रह दो साल पहले सुर्खियों में आया था जब वहां फॉस्फीन गैस की मौजूदगी का पता चलने से हड़कंप मच गया था क्योंकि पृथ्वी पर यह गैस केवल जैविक प्रक्रियाओं द्वारा ही पैदा हो पाती है.

शुक्र के अध्ययन लक्ष्य
पिछले साल नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने शुक्र ग्रह के लिए तीन अभियानों का ऐलान किया था. अब चीन भी इसके लिए अपने अभियान की तैयारी में लग गया है. इसके अलावा रूस की भी शुक्र ग्रह पर निगाहें पिछले साल जब नासा ने शुक्र को अपने भावी अभियानों के लक्ष्य के रूप में पेश किया था, तब रोसकोसमोस ने कहा था कि जहां मंगल नासा का ग्रह है तो उसी तरह से शुक्र रूस का ग्रह है. यानि जैसे नासा ने मंगल पर बहुत अध्ययन किया है, वहीं रूस ने शुक्र पर किया है.

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