उप्र के किसानों को पुरानी फसलों के उत्पादन में बदलाव करने की है जरूरत

न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर उप्र के किसानों को अपनी परंपरागत पुरानी फसलों के उत्पादन में बदलाव करने की जरूरत है। परिवर्तन के हिसाब से खेती से अपनी आय का जरिया बनाना होगा। यदि नए किस्मों की खेती को शामिल किया जाये तो आय बढ़ेगी और समय भी बचेगा। शुक्रवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में कृषि वैज्ञानिकों ने अपने नए शोध पर अनुभव साझा किये। नौवें भारतीय बागवानी सम्मेलन के दूसरे दिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईएआरआई) के वेजीटेबल साइंस विभाग के एचओडी डॉ. बीएस तोमर ने कहा कि यूपी का किसान अगर स्वीट और बेबी कॉर्न की फसल बोना शुरु कर दे तो वह कम समय में अधिक आय कमा सकता है।

दाल और कॉर्न क़ई नई प्रजाति से कम समय में दोगुनी आय…

बीएस तोमर ने बताया कि प्रदेश में अभी नई किस्म के कॉर्न का उत्पादन कम हो रहा है। भुट्टा वाले कॉर्न की तुलना में नये शोध वाले कार्न दोगुनी आय देते हैं। बताया कि स्वीट और बेबी कॉर्न को मिल्क स्टेज में ही काट लिया जाता है। जबकि भुट्टे वाले कॉर्न को पूरा पकने पर ही काटा जाता है। उन्होने बताया कि अरहर दाल की पूसा 16 प्रजाति को विकसित किया है, जो कि 118 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। जबकि अन्य सामान्य किस्मे 200 दिन में पककर तैयार होती हैं।

आम, अँगूर और नींबू पर हो रहा है शोध…

आईसीएआर नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विश्वबंधु पटेल ने बताया कि आम, अंगूर और नींबू में नई प्रजातियों को विकसित करने पर काम चल रहा हैं। जिसका उद्देश्य है कि ऐसी किस्म के फल देश में हो जो कि अपने देश के साथ विदेश भी निर्यात किये जा सके। इससे देशवासियों को अच्छे फल खाने को मिलेगे और किसानों की आय भी बढ़ेगी। इन्होंने आम की अरुणिमा, सूर्या, श्रेष्ठा और पीतांबरा प्रजाति को विकसित किया है। वहीं अंगूर की पूसा पर्पल, पूषा सीडलेस और स्वर्णिका प्रजाति विकसित की है। इन दोनों प्रजातियों के फलों में बीजा छोटा और गुदा ज्यादा होता है।

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देश भर से जुटे कृषि वैज्ञानिक…

तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ टी जानकी रमन कुलपति बागवानी विश्वविद्यालय आंध्र प्रदेश, सह अध्यक्षता डॉ पी एल सरोज बीकानेर राजस्थान और डॉ सीपी सचान अधिष्ठाता दुग्ध विज्ञान इटावा ने की। इस दौरान क़ई फलों का स्वास्थ्य एवं पोषण महत्व को देखते हुए देश के विभिन्न भागों में उनके उत्पादन एवं उपलब्धता बढ़ाने पर चर्चा की गई। ऊसर भूमि का उद्यानिकी फसलें उगा कर समुचित उपयोग कर उनको विभिन्न फलों अनार, इमली, बेल के साथ अन्य फसलों को उत्पादित कर भूमि को उत्पादन लायक बनाने पर चर्चा हुई। इस मौके पर डॉ. एचजी प्रकाश, डॉ. खलील खान, डॉ. डीपी सिंह, डॉ. एसएन पांडेय और डॉ. आशीष श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

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