Joshimath Crisis: भू-धंसाव से परेशान जोशीमठ वासियों की बढ़ सकती है एक और मुसीबत

जोशीमठ: यूपीसीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार ने बताया कि 33/11KV क्षमता का एक सब स्टेशन पानी के रिसाव वाली जगह से लगभग 50 मीटर की दूरी पर स्थित है।

News Jungal Political Desk: उत्तराखंड के चमोली जिले का जोशीमठ (Joshimath Crisis) अभी भी भू-धंसाव को झेल रहा है और जोशीमठ वासियों को बिजली की सप्लाई फिलहाल सुचारू रूप से मिल रही है लेकिन आने वाले समय में बिजली की समस्या से भी जोशीमठ वासियों को दो-चार होना पड़ सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जोशीमठ में बिजली के करीब 70 खंबे और कुछ ट्रांसफॉर्मर भी भू धंसाव की चपेट में आकर झुकना शुरू हो गए हैं। इस समस्या को देखते हुए जोशीमठ में मौजूद उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जोशीमठ शहर में बिजली की आपूर्ति की समस्या से निपटने के लिए हम लगातार कार्यरत हैं।

यूपीसीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार ने बताया कि 33/11KV क्षमता का एक सब स्टेशन पानी के रिसाव वाली जगह से लगभग 50 मीटर की दूरी पर स्थित है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जोशीमठ में जिस जगह सब स्टेशन है, अगर वहां भी जमीन धंसने के हालात पैदा होते हैं तो उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन को करीब 23 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ सकता है।

जोशीमठ के कुछ घरों में विद्युत पूरी तरह ठप
यूपीसीएल के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि जमीन धंसने के मामले से पहले जोशीमठ में करीब ढाई हजार ग्राहक थे। इनमें घरेलू और कॉमर्शियल दोनों ही प्रकार के कनेक्शन शामिल हैं। कुछ लोग अभी सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं, इसलिए उनके घरों की बिजली की आपूर्ति को रोका गया है और जो लोग अभी भी अपने घरों में मौजूद हैं, उनके घरों में निरंतर बिजली की आपूर्ति सुचारू रूप से चालू है।

बिजली विभाग ने पीपलकोटी में खोजी सेटअप के लिए नई जगह
अनिल कुमार ने बताया कि नए प्लान के सेटअप के लिए बिजली विभाग ने जोशीमठ के पीपलकोटी क्षेत्र के सेलंग गांव में जमीन खोज ली है और भविष्य में वहां एक नया सेटअप जल्द ही लगाया जा सकता है। नई जगह पर सब स्टेशन की शिफ्टिंग में करीब 10 करोड़ रुपये का खर्च भी आएगा। इसमें 33 KV लाइन और 11 KV फीडर शामिल होंगे। साथ ही उन्होंने बताया कि भू-धंसाव के चलते 60 से 70 बिजली के खंबे और 10 से 12 ट्रांसफार्मर तक झुक गए हैं, जिससे आपदा प्रभावितों के घरों में भी शॉर्ट सर्किट का खतरा बन गया है। फिलहाल अभी पावर सप्लाई की मॉनिटरिंग के लिए कर्मचारियों को लगातार इलाके में भेजा जा रहा है।

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