उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को अंबानी, पत्नी एवं बच्चों को खतरे की आशंका और आकलन के संबंध में गृह मंत्रालय के पास रखी वह मूल फाइल पेश करने का निर्देश दिया था।
न्युज जंगल डेस्क कानपुर :– उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनकी परिवार की सुरक्षा से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने सुरक्षा के खतरे को लेकर केंद्र से जानकारी मांगी थी, जिसके तहत उद्योगपति और उनके परिवार को मुंबई में सुरक्षा प्रदान की गई है। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेपी पादरीवाला की बेंच ने मामले की सुनवाई की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि त्रिपुरा हाईकोर्ट का यह अधिकार क्षेत्र नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि हाईकोर्ट ने 21 जून को अंतरिम आदेश में केंद्र सरकार को अंबानी परिवार की सुरक्षा के संबंध में जानकारी मांगी थी।
क्या था मामला
उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को अंबानी, उनकी पत्नी एवं बच्चों को खतरे की आशंका और आकलन के संबंध में गृह मंत्रालय के पास रखी वह मूल फाइल पेश करने का निर्देश दिया था, जिसके आधार पर उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई थी। सोमवार को मेहता ने कहा कि वह चाहते हैं कि अपील पर जल्द सुनवाई हो क्योंकि उच्च न्यायालय ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों को अंबानी परिवार को संभावित खतरे के संबंध में मूल दस्तावेजों के साथ मंगलवार को उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है। साथ ही उच्च न्यायालय ने कहा है कि अब और स्थगन नहीं दिया जाएगा।
त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने विकास साहा नामक व्यक्ति की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर 31 मई और 21 जून को दो अंतरिम आदेश पारित किए थे। अदालत ने केंद्र सरकार को अंबानी, उनकी पत्नी व बच्चों को होने वाले खतरे की आशंका और आकलन के संबंध में गृह मंत्रालय के पास रखी वह मूल फाइल पेश करने का निर्देश दिया था, जिसके आधार पर उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई थी।
केंद्र ने कहा कि उक्त आदेशों के माध्यम से उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को एक जिम्मेदार अधिकारी को एक सीलबंद लिफाफे में मूल रिकॉर्ड के साथ अदालत के समक्ष सुनवाई की अगली तारीख 28 जून, 2022 को पेश होने के लिए प्रतिनियुक्त करने का भी निर्देश दिया है। उसने कहा कि उपरोक्त आदेश उच्च न्यायालय द्वारा एक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर पारित किया गया है, जिसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं था।
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