Abu Dhabi First Hindu Temple: इस्लामिक देश, मुस्लिम राजा, इसाई आर्किटेक्ट और मंदिर हिन्दुओं का

Temple in Abu Dhabi
BAPS Hindu Mandir Abu Dhabi

News jungal desk: यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात के पहले हिंदू मंदिर (Abu Dhabi First Hindu Temple) का पट भक्तों के लिए अब खुल गया है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अबू धाबी के पहले भव्य हिंदू मंदिर का उद्घाटन कर चुके हैं, जिसे अयोध्या के राम मंदिर की तरह ही नागरशैली में बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण करीब 27 एकड़ क्षेत्र में किया गया है और इसे अबू धाबी में ‘अल वाकबा’ नाम की जगह पर बनाया गया है। 

क्या है नागरशैली ?  

नागर शैली उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। ‘नागर’ शब्द की उत्पत्ति नगर से हुई हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान उनका आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक चतुष्कोण होना है। विकसित नागर मंदिर में गर्भगृह, उसके समक्ष क्रमशः अन्तराल, मण्डप एवं अर्द्धमण्डप होते हैं। एक ही अक्ष पर एक दूसरे से जुड़े हुए इन भागों का निर्माण होता है।

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इस हिन्दू मंदिर को बनाने के लिए सभी धर्मो के लोगो ने दिया योगदान 

700 करोड़ रुपये की लागत से बना यह हिंदू मंदिर (Abu Dhabi Mandir) भले ही हिंदू धर्म का है, मगर इसमें हर धर्म का योगदान दिखा है चाहे वह मुस्लिम धर्म हो या जैन और बौध। अबू धाबी का यह पहला हिंदू मंदिर (Abu Dhabi First Hindu Temple) सह-अस्तित्व के विचार का प्रतिनिधित्व करता है। क्योंकि इस हिंदू मंदिर के लिए एक मुस्लिम राजा ने जमीन दान की है आपको बता दें की इस मंदिर का वास्तु एक इसाई समुदाय के व्यक्ति ने बनाई है , और इस मंदिर का प्रोजेक्ट मैनेजर एक सिख है |

वहीं इसके फाउंडेशनल डिजाइनर की बात करें तो वह एक बौद्ध है। जिस कंपनी ने इस मंदिर को बनाया है, वह कंस्ट्रक्शन कंपनी एक पारसी समूह की बताई जा रही है और इस मंदिर का डायरेक्टर जैन धर्म से ताल्लुकात रखता है | इस तरह से इस हिंदू मंदिर में हर धर्म के लोगों के प्रतिनिधित्व की झलक देखने को मिल रही है। 

आपको बता दें कि अबू धाबी का यह बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण हिन्दू मंदिर यानी बीएपीएस हिन्दू मंदिर (BAPS Hindu Mandir) 27 एकड़ जमीन में फैला है जिसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद जायद अल नाहयान दान में दी थी | यह मंदिर दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल राहबा के पास बना है, जो करीब 700 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है।

क्या है मंदिर के अन्दर का वैज्ञानिक द्रष्टिकोण

इसके साथ ही आपको बता दें कि इस मंदिर (Abu Dhabi Mandir) को शिल्प और स्थापत्य शास्त्रों एवं हिंदू ग्रंथों में उल्लेखित निर्माण की प्राचीन शैली को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। संयुक्त अरब अमीरात में अत्यधिक तापमान को ध्यान में रखते हुए इसके निर्माण में ऐसे टाइल का उपयोग किया गया है जिसमे गरमी में भी चलने में श्रद्धालुओं को दिक्कत का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही मंदिर में अलौह सामग्री का भी प्रयोग किया गया है।

बीएपीएस के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारीदास ने बताया की मन्दिर में वास्तुशिल्प पद्धतियों को वैज्ञानिक तकनीकों के साथ जोड़ा गया है। तापमान, दबाव और गति (भूकंपीय गतिविधि) को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर 300 से अधिक उच्च तकनीक वाले सेंसर लगाए गए है तथा ये सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा प्रदान करेंगे। इसके साथ ही आपको बता दें की इस मंदिर से हम आस पास आने वाले भूकंप का भी पता लगा सकते है ।

मंदिर निर्माण में किन चीजो का किया गया उपयोग 

आपको बता दें की अबू धाबी के पहले भव्य हिंदू मंदिर निर्माण में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है और नींव को भरने के लिए कंक्रीट मिश्रण में 55 प्रतिशत सीमेंट की जगह राख का उपयोग किया गया है | आपको बता दें कि मंदिर का निर्माण परंपरागत सौंदर्य वाली पत्थर संरचनाओं और आधुनिक समय के शिल्प को मिलाते हुए तापमान रोधी सूक्ष्म टाइल्स और कांच के भारी पैनलों का इस्तेमाल किया है |

यूएई में अत्यधिक तापमान को देखते हुए ये टाइल्स दर्शनार्थियों के पैदल चलने में सुविधाजनक होंगी | अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का निर्माण (Abu Dhabi First Hindu Temple) नागर शैली में किया गया है | आपको बता दें की अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण भी इसी तकनीक से किया गया है इसी के साथ ही आपको बता दें की राजस्थान में तराशे गए करीब 20000 चूना पत्थर के टुकड़ो को करीब 700  कंटेनर से आबू धाबी लाया गया है । आपको बता दें की इसमें ७ शिखर बने हुए है जिसमे से हर एक स्तम्भ अरब के सात अमीरातों को दर्शाता है । 

कब हुआ मंदिर का शिलान्यास?? 

आपको बता दें की अबू धाबी के पहले भव्य हिंदू मंदिर का शिलान्यास 2011 में हुआ था जिसे देखने के लिए करीब  5,000 एकत्र हुए थे। आपको बता दें की यहाँ के पत्थरों के जलाभिषेक के लिए भारत की तीन प्रमुख पवित्र नदियों गंगा, यमुना एवं सरस्वती से जल लाया गया। इसके साथ ही इस कार्यक्रम में कई देशों के दिग्गज नेता भी मौजूद रहे ।

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