चुनाव से पहले जागती है नीतीश की अंतरात्मा,सरकार बदल जाती है, सीएम वही

नीतीश कुमार की जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन टूट सकता है? इतिहास के पन्नों को यदि पलटा कर देखा जाए तो पिछले 22 साल में दो बार नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है

न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : बिहार एनडीए में घमासान मचा हुआ है। बीजेपी और जेडीयू के नेता खुलकर तो कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन बिना नाम लिए ही एक दूसरे पर जमकर शब्द बाण चला रहे हैं।काय़ाश तो यहां तक लगाये जा रहे हैं कि आने वाले कुछ दिनों में नीतीश कुमार की जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन टूट सकता है। इतिहास के पन्नों को यदि पलटा जाए तो पिछले 22 साल में दो बार नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ा हैं। सबसे मजेदार बात तो यह है कि 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ा था। अब एक बार फिर से सवाल उठने लगा है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार की अंतरआत्मा जागेगी और वह बीजेपी का दामन छोड़कर महागठबंध के साथ चले जाएंगे। 

इन सियासी गलियोरों के बीच जदयू के नेता विजय चौधरी ने किसी राजनीतिक उलट-फेर से इंकार करते हुए कहा है कि बिहार में ऐसी कोईस्थिति नहीं है, जिसका लोग चित्रण कर रहे । यह सामान्य राजनीतिक गतिविधि है। भाजपा-जदयू के गठबंधन पर कहा कि अभी हम लोग साथ मिलकर चल रहे हैं। गठबंधन नहीं चलेगा, ऐसा फिलहाल नहीं दिख रहा है। भाजपा विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि 2025 का चुनाव हमलोग जदयू के साथ लड़ेंगे। नीतीश कुमार ही चेहरा रहेगें

22 साल में 7 बार सीएम बनें नीतीश

सबसे पहले नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। तब उनके पास बहुमत नहीं होने के कारण उनको 7 दिन बाद ही 10 मार्च को इस्तीफा देना पड़ा था। दूसरी बार नीतीश कुमार ने 2005 में बीजेपी के साथ सरकार बनाई। 24 नवंबर 2005 को उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अपना कार्यकाल पूरा होते हुए 24 नवंबर 2010 तक मुख्यमंत्री रहे। तीसरी बार नीतीश कुमार ने 26 नवंबर 2010 को मुख्यमंत्री बने। इन चुनावों में एनडीए ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल करते हुए 243 में से 206 सीटों पर जीती थी।

चौथी बार नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के लिये बेहद नाटकीय प्रदर्शन किया था । 2014 में बीजेपी का दामन छोंड़कर राजद के साथ उन्होंने सरकार बनाई। लेकिन लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन करने के बाद नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को सीएम बनाया गया था, लेकिन कुछ गलतफहमियों के कारण उन्हें हटा दिया गया। इसके बाद 22 फरवरी 2015 को नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ली और 19 नवंबर 2015 तक अपने पद पर बने रहे। पांचवी बार नीतीश कुमार ने राजद के साथ चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। चुनाव में जीत के बाद 20 नवंबर 2015 को उन्होंने पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 

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