जज का काम लोगों को खुश करना नहीं- जस्टिस हेमंत गुप्ता बोले

न्यायपालिका में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता के योगदान की प्रशंसा करते हुए मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने कहा कि वह लगभग 12-13 साल पहले उनसे पहली बार मिले थे और तब से उन्हें करीब से जानते हैं।

न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : हिजाब मामले में फैसला सुनाने वाले जस्टिस हेमंत गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट को अलविदा कह दिया है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जज का काम लोगों को खुश करने का नहीं, बल्कि कानून के आधार पर मामलों का फैसला सुनाना होता है । कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में शीर्ष न्यायालय के दो जजों की बेंच की राय अलग-अलग थी। 

जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था। बहरहाल, इस मामले पर अभी शीर्ष न्यायालय का अंतिम फैसला आना बाकी है। जबकि, जस्टिस सुधांशु धूलिया ने अपीलों को स्वीकार कर लिया था।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने विदाई भाषण दिया। उन्होंने कहा, ‘एक जज लोगों को खुश नहीं कर सकता… यह काम उसका नहीं है। वह भूमिका सार्वजनिक जीवन में दूसरों को दी गई है। कोई व्यक्ति लोगों को खुश करने के इरादे से अपना काम नहीं कर सकता। मैं अदालत में कठोर था मुखर था।’

न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि शीर्ष अदालत में रहना ‘व्यक्तिगत रूप से समृद्ध अनुभव’ था और उन्हें हमेशा सभी वकीलों से सहायता मिली। उन्हें दो नवंबर, 2018 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। 

सीजेआई ने की तारीफ
न्यायपालिका में न्यायमूर्ति गुप्ता के योगदान की प्रशंसा करते हुए सीजेआई ने कहा कि वह लगभग 12-13 साल पहले उनसे पहली बार मिले थे और तब से उन्हें करीब से जानते हैं। शुरुआत में सीजेआई ने कहा, ‘मुझे यह जरूर कहना चाहिए। आज की इस पीठ में उम्र के मामले में दो वरिष्ठतम न्यायाधीश मौजूद हैं।’ सीजेआई ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

न्यायमूर्ति गुप्ता के सेवानिवृत्त होने से शीर्ष अदालत में सेवारत न्यायाधीशों की संख्या घटकर 28 हो जाएगी, जबकि सीजेआई सहित न्यायाधीशों के 34 पद स्वीकृत हैं। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, न्यायमूर्ति गुप्ता ने कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में फैसले सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए।

न्यायमूर्ति गुप्ता ने अदालत में मौजूद अधिवक्ताओं से कहा, ‘व्यक्तिगत रूप से बोल रहा हूं, मैंने लगभग 20 वर्षों की अपनी पारी का भरपूर आनंद लिया। प्रत्येक दिन मेरे लिए सीखने वाला था और आप सभी ने सीखने की प्रक्रिया में मेरी मदद की है। बहुत-बहुत धन्यवाद।’

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