ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर वाराणसी जिला कोर्ट में सुनवाई पूरी, कल आएगा फैसला

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने दलील दी कि यहां सालों से नमाज होती रही है. जिसके जवाब में हिन्दू पक्ष ने कहा कि भले ही यहां नमाज होती रही है, लेकिन स्थान का मूल करैक्टर मन्दिर का ही है.

न्यूज़ जंगल नेटवर्क, कानपुर : ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत में सोमवार को 45 मिनट बहस हुई, जिसके बाद न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेस ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. आज मुस्लिम पक्ष की ओर से 1991 प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट का हवाला देते हुए हिन्दू पक्ष के मुक़दमे को ख़ारिज करने की मांग की गई. जिस पर हिंदू पक्ष की तरफ से भी दलील पेश की गई. दोनों पक्षों की दलीलें पेश सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. मंगलवार 24 मई को दो बजे अब इस मामले में कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.

सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने दलील दी कि यहां  सालों से नमाज होती रही है. जिसके जवाब में हिन्दू पक्ष ने कहा कि भले ही यहां नमाज होती रही है, लेकिन स्थान का मूल करैक्टर मन्दिर का ही है. गौरतलब है कि आज की सुनवाई में दोनों पक्षों की तरफ से 23 लोग कोर्ट में मौजूद थे. पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को आज हुई सुनवाई में शामिल नहीं किया गया, क्योंकि उनका नाम लिस्ट में नहीं था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के  आदेश के बाद आज से जिला जज की अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई है. कोर्ट ने पूरे मामले को 8 हफ्ते में निपटाने का आदेश भी दिया है.

अब तक इस मामले की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में चल रही थी. अब तक इस मामले में अदालत के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई की कमीशन रिपोर्ट भी दाखिल हो चुकी है. आज दो लंबित प्रार्थना पत्र हैं जिन पर सुनवाई होनी थी. इनमें से एक प्रार्थना पत्र वादी यानी मंदिर पक्ष की ओर से और दूसरा शासकीय अधिवक्ता की ओर से दाखिल किया गया है. वादी पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना करने और परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रह को सुरक्षित रखने समेत तहखाने की दीवार और वहाँ मौजूद मलबे को हटाकर एक एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही की मांग की गई है. वहीं शासकीय अधिवक्त की ओर से जिस हौज में कथित शिवलिंग मिला है,  उसमे मौजूद मछलियों के जीवन की रक्षा समेत तीन बिंदुओ पर प्रार्थना पत्र दिया गया है। जिस पर सुनवाई होनी थी.

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