क्या चीन ने किडनैप किए दो भारतीय युवक ? परिजनों ने केंद्र सरकार से जल्द खोजने की लगाई गुहार

अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में भारत-चीन सीमा पर 24 अगस्त को लापता हुए दो युवकों का अभी तक पता नहीं चल सका है. करीब 3 महीने से लापता 33 साल के बेटिलम टिकरो और 35 साल के बेइंग्सो मन्यु 19 अगस्त को घर औषधीय पौधों की तलाश में पहाड़ों की ओर निकल गए थे, जिन्हें आखिरी बार 24 अगस्त को कुछ साथी ग्रामीणों ने देखा था ।

न्यूज जंगल नेशनल डेस्क:- अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में भारत-चीन सीमा पर 24 अगस्त को लापता हुए दो युवकों का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है और करीब 3 महीने से लापता 33 साल के बेटिलम टिकरो और 35 साल के बेइंग्सो मन्यु 19 अगस्त को घर से औषधीय पौधों की तलाश में पहाड़ों की ओर निकल गए थे । और जिन्हें आखिरी बार 24 अगस्त को कुछ साथी ग्रामीणों ने देखा था ।

दोनों युवक अपने साथ बिस्तर और खाद्य पदार्थ ले गए थे जो 15-20 दिनों तक चल सकते थे और जब दोनों डेढ़ माह से अधिक समय बाद भी नहीं लौटे तो परिजनों ने नौ अक्टूबर को गांव खुपा थाने में गुमशुदगी दर्ज करवाई थी लापता युवकों के परिवार के सदस्यों को संदेह है कि वे गलती से भारतीय क्षेत्र को पार कर गए होंगे और चीन में प्रवेश कर गए होंगे, जहां उनका चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा अपहरण कर लिया गया होगा. और पांच युवकों का अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले से सितंबर 2020 में पीएलए द्वारा अपहरण कर लिया गया था और कुछ हफ्तों के बाद रिहा किया गया था।

पीएलए ने इस साल 18 जनवरी को अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले से मिराम तारोम नाम के एक लड़के का भी अपहरण कर लिया था और बाद में उन्हें आधिकारिक प्रक्रिया के बाद पीएलए द्वारा रिहा भी कर दिया गया था क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने कहा कि भारत-चीन सीमावर्ती जिले के युवा आमतौर पर औषधीय पौधों और स्थानीय सब्जियों की तलाश में पहाड़ियों पर जाते हैं और कभी-कभी वे अनजाने में चीनी क्षेत्र में भी प्रवेश करते हैं और चीनी सेना द्वारा अपहरण कर लिया जाता है. लापता युवकों में से एक के बड़े भाई मनिसो मन्यु ने कहा कि उनका भाई पहले भी कई बार जंगल गया था और लेकिन यह पहली बार है कि वह इतने लंबे समय तक नहीं लौट कर आया है ।

लापता युवक के परिजनों ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार और भारतीय सेना से उनका पता लगाने की अपील करी है अंजॉ जिले के स्थानीय लोगों ने बताया कि 1962 में भारत-चीन युद्ध से पहले उनके पूर्वज चीन का दौरा किया करते थे और नमक और स्थानीय गहनों के बदले अपने स्थानीय सामानों का आदान-प्रदान भी करते थे । हालांकि, वर्तमान में भारतीय सेना उन्हें सीमा पार करने के लिए प्रतिबंधित करती है

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