त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग में रविवार को मनेगी धनतेरस
धनतेरस का पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा त्रयोदशी तिथि के दौरान प्रदोष काल में करने का विधान है।
न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : धनतेरस का पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा त्रयोदशी तिथि के दौरान प्रदोष काल में करने का विधान होता है। इस साल कार्तिक महीने की कृष्ण त्रयोदशी तिथि 22 अक्तूबर की शाम 06 बजकर 02 मिनट पर प्रारंभ हो रही हैं और अगले दिन 23 अक्तूबर की शाम 06 बजकर 03 मिनट पर खत्म हो जाएगी फिर चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। हिंदू धर्म में कोई भी व्रत या त्योहार उदया तिथि के आधार ही मनाई जाती है। ऐसे में त्रयोदशी की उदया तिथि 23 अक्तूबर को मानी जायेंगी ।
प्राचीन शिव मंदिर चौगुर्जी के महंत आचार्य भुवनेश मिश्रा ने बताया निर्णय सिंधु पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत एवं धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष 13 दो दिन प्रदोष व्यापिनी है। इससे लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है । इसके संबंध में शास्त्रीय व्यवस्था है कि यदि त्रयोदशी 2 दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो द्वितीय दिन ही प्रदोष व्रत करना चाहिए। इसी शास्त्रीय आधार पर धनतेरस का पर्व भी दूसरे दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण पक्ष रविवार 23 अक्टूबर को मनाया जा रहा है । धनतेरस के साथ धन्वंतरि जयंती एवं यम दीपदान भी इसी दिन किया जायेगा ।
आचार्य जी ने बताया कि इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। पंचाग के अनुसार अनुसार त्रिपुष्कर योग में शुभ कार्य करने पर उसमें तीन गुने की सफलता हासिल होती है जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग को शुभ माना गया है क्योंकि इसमें सभी सिद्धियों का वास होता है। सर्वार्थ सिद्धि योग पर राहुकाल का भी असर नहीं होता और खरीदारी करना शुभ माना जाता है
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