इतने रुपए खर्च होने के बावजूद हर बार की जांच में नाले मिलते गंगा में गिरते हुए ही

न्यूज़ जंगल नेटवर्क, कानपुर: नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा को निर्मल करने के लिए 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम खर्च की जा चुकी है। फिर भी गंगा में गिरने वाले नालों को पूरी तरह से रोका नहीं जा सका है। हर बार की जांच में नाले गंगा में गिरते हुए ही मिलते हैं, बस कारण बदल जाते हैं। गंगा में गिर रहे नालों की शिकायत के बाद कमिश्नर डॉ. राज शेखर ने ज्वाइंट टीम बनाकर नालों की जांच करने के आदेश दिए थे। जांच टीम ने तीन नाले गंगा में गिरते पाए।

गंगा में गिर रहे ये नाले

निरीक्षण टीम द्वारा परमिया नाला, सीसामऊ नाला, परमट नाला, बाबा घाट नाला, गुप्तारघाट नाला और रानीघाट नाले का निरीक्षण किया। इसी दौरान पाया गया कि नवाबगंज पंपिंग स्टेशन के पांच पम्पों में से दो ही पंप क्रियाशील होने के कारण परमिया नाले से लगभग तीन से चार करोड़ लीटर नाले का पानी गंगा में जा रहा है।

वहीं, परमट पंपिंग स्टेशन के पंपों का मेंटेनेंस कार्य चल रहा है। इसके चलते यहां पांच पंपों में से दो पंप क्रियाशील होने के कारण परमट नाले से लगभग दो करोड़ लीटर और रानीघाट नाले से लगभग एक करोड़ लीटर सीवेज ओवर फ्लो होता पाया गया।

गंगा में गिरते हैं 18 नाले

गंगा नदी में कुल 18 नाले गिरते हैं, जिनमें 13 नाले (एयर फोर्स ड्रेन, परमिया नाला, वाजिदपुर नाला, डबका नाला, बंगालीघाट, बुढ़िया घाट, गुप्तारघाट, सीसामऊ नाला, टैफ्को नाला, परमट ड्रेन, म्योरमिल ड्रेन, पुलिस लाइन ड्रेन और जेल ड्रेन) टैप्ड हैं यानी उन्हें बंद कर दिया गया था। पांच नाले (रानीघाट ड्रेन, गोलाघाट नाला, सती चौराहा नाला, मैस्कर ड्रेन और रामेश्वर ड्रेन) अभी भी अनटैप्ड यानी खुले हैं।

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कुछ नालों पर बायोरैमिडिएशन

सीसामऊ नाला, बाबा घाट नाला, गुप्तारघाट नाला से ओवर फ्लो की स्थिति नहीं पाई गई। रानीघाट ड्रेन समेत कुल पांच अनटैप्ड नालों गोलाघाट नाला, सती चौराहा नाला, मैस्कर ड्रेन औक रामेश्वर ड्रेन की टैपिंग नहीं हुई है। गंगा में गिर रहे इन नालों का नगर निगम, कानपुर के द्वारा बायोरिमेडियेशन ट्रीटमेंट का कार्य कराया जा रहा है।

तो दर्ज कराएं एफआईआर

कमिश्नर ने महाप्रबंधक, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को सभी प्लांट का संचालन ठीक प्रकार से कराने के निर्देश दिए। एसटीपी के मेंटेनेंस का कार्य कर रही प्राइवेट कंपनी को भी कड़े निर्देश दिए कि घटिया कार्य होने पर कंपनी पर कड़ी कार्रवाई की जाए। जरूरत पड़ तो एफआईआर तक दर्ज कराई जाएगी।

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