विकास दुबे की कहानी: कैसा था विकास दुबे का भौकाल !

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कानपुर, उत्तर प्रदेश का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा जिला हैं | यहाँ से करीब 50 किलोमीटर दूर चौबेपुर इलाके में एक छोटा सा गांव बिकरू (Bikru Gaon) है, हिंदुस्तान में वैसे तो लाखों की संख्या में गाँव है परन्तु 2020 में बिकरू नामक गाँव ऐसे बदनाम हुआ कि इस गांव की चर्चा पूरे देश में होने लगी, इसका कारण था इस गाँव का कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे, जिसने 8 पुलिसकर्मियों को मौत की नींद सुला दिया | तो आज बताते है आपको विकास दुबे की कहानी , न्यूज़ जंगल की जुबानी |

विकास दुबे की कहानी

शुरूआती दौर में विकास बिकरु गांव का एक छोटा सा गुंडा था परन्त साल 1996 के पश्चात् विकास दुबे कानपुर का एक ऐसा नाम बन गया जिसका खौफ आम जनता में ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े नेताओं में भी इस कदर था कि उसके खिलाफ सब चुप्पी साधे रहते थे। उसका काम रंगदारी और धमका कर जमीनों पर कब्जा करना था।

जैसे जैसे उसकी ताकत बढ़ती गयी उसके साथियों की लिस्ट भी बढ़ती गई जो लोगों को धमकाने तथा अवैध वसूली का काम किया करते थे और उसके लिए जान तक दे सकते थे | अमर दुबे, जय बाजपेई, प्रभात तथा दयाशंकर विकास के इस गैंग का अंग थे, जो विकास के काले धन को सफेद करने का काम करते थे एवं इसका नाम लेकर जमीनों पर कब्जा करते थे | इस गैंग की ताकतवर होने की सबसे बड़ी वजह थी बड़े-बड़े नेताओं और पुलिस महकमें में इसकी पहचान, जिसके दम पर वह अपने सभी काम करवाता था |

विकास दुबे की जन्म कुंडली

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विकास को अपनी ताकत का इतना गुरूर था कि वह बिकरू गांव (Bikru Gaon Kanpur) में अब खुद को पंचायत का मुखिया मानता था, 90 के दशक में लोगों से मारपीट और लूटपाट करने वाला विकास दुबे (Vikas Dubey) 30 साल के बाद कानपुर (Kanpur) की राजनीतिक पार्टियों की आंखों का तारा बन गया था और राजनीतिक पार्टियों को यकीन हो गया था | विकास दुबे की दम पर वोट बैंक किसी के भी पाले में खिंच सकता था |

इसीलिए बीएसपी हो या फिर सपा वह दोनों पार्टियों में आसानी से शामिल हो गया | 2015 से 2016 के दशक में विकास दुबे (Vikas Dubey) लखनऊ में कई गाड़ियों के काफिले के साथ चला करता था जबकि ना तो वह विधायक था और ना ही कही का सासंद या मंत्री | उसी दौरान जी न्यूज़ के संवाददाता से बातचीत में विकास ने खुद को कानपुर (Kanpur) का छोटा समाज सेवी कार्यकर्ता बताया था |

इसके साथ ही उसके पास कुछ ऐसी गाड़ियां भी थी जो बिना रजिस्ट्रेशन के ही चलाई जा रही थी इसके अलावा वह खुद लखनऊ के नंबर की एंबेसडर का इस्तेमाल करता था | विकास ने एक बार जेल में रहते हुए शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव भी लड़ा था जिसमें उसे जीत भी मिली थी |

‘विकास दुबे कानपुर वाला’ का भौकाल

इन्हीं सबके दौरान उसे अपने सबसे अच्छे दोस्त और उसी के गैंग के गैंगस्टर राजू निगम की बहन से प्यार हो गया, जिसके घर में वो अक्सर जाता रहता था और फिर बंदूक की नोक में उसने राजू की बहन को अगवा किया और उससे शादी की, फिर कुछ समय बाद विकास दुबे का ध्यान गया लल्लन बाजपेई के ऊपर जोकि उस समय के भाजपा नेता राज्यमंत्री संतोष शुक्ला का भाई था और उसने लल्लन बाजपाई  को फोन कर धमकी दी थी लेकिन उसे जानकारी मिली कि भाजपा नेता संतोष शुक्ला शिवली थाने में उसे मारने का प्लान बना रहे है |

इसके बाद विकास शिवली थाने पहुंचा और भाजपा नेता संतोष शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी | राज्य मंत्री की हत्या की खबर अब हर अखबार में छपने लगी और इस कारण बसपा को शर्मिंदगी के चलते उसे पार्टी से बाहर निकालना पड़ा। 2006 तक विकास दुबे ने ड्रग्स की तस्करी भी शुरू कर दी जिसमे वह नाकामयाब रह तथा पकड़ा गया | हालाकि उसे ज्यादा दिन अन्दर नहीं रहना पड़ा और वह जमानत पर बाहर आ गया, सत्ता में कौन था कौन नही इससे उसको कोई मतलब नही था वो खुद ही अपना कानून बनाता था जिसके कारण पुलिस भी ये सोचने लगी थी कि विकास को गिरफ्तार करने का कोई फायदा नहीं हैं क्योंकि उसके खिलाफ कोई गवाही नही देता।

लेकिन फिर 2018 में उनको मौका मिला जब  विकास के चचेरे भाई की बीवी पुलिस थाने में उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखवाने आई और विकास गिरफ्तार हुआ लेकिन 18 महीने बाद फिर उसे जमानत मिल गई | जुलाई 2020 जब विकास के साले राहुल ने एक और FIR दर्ज करायी और पूछताछ के लिए जब सीओ देवेंद्र मिश्रा उसके पास पहुँचे तब विकास ने उनकी खूब बेज्जती की और उन्हें वहां से भगा दिया |

विकास दुबे का एनकाउंटर

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सीओ देवेंद्र मिश्रा जिसके बाद 2020 में विकास के एन्काउंटर की योजना बनानी शुरू की और इसके लिए 25 आदमियों की टीम बनाई गई, लेकिन हमेशा की तरह विकास को इसकी खबर पहले ही मिल चुकी थी और वह इसके लिए पहले से ही तैयार था जिसका परिणाम था कि उसने पुलिस वालो को जाल बिछा कर 9 पुलिस वालो को मौत के घाट उतार दिया |

जिसके पश्चात् पुलिस वालो ने विकास के सभी गुर्गों को मारना शुरू कर दिया, तब विकास को अंदाजा हो गया की वह अब कानपुर (Kanpur) में सुरक्षित नही रह सकता और जिसके चलते वह भागकर मध्यप्रदेश के उज्जैन महाकाल मंदिर में चला गया और वहां पर समर्पण कर दिया ।

जिसके बाद पुलिसवाले उसे लेकर कानपुर (Kanpur) आ रहे थे तभी दुर्घटनावश पुलिश की गाड़ी पलट गई तथा पुलिस को भागते समय विकास का एनकाउटर करना पड़ा और यहां से खतम हुई बिकरू के गब्बर विकास दुबे की कहानी |

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