निकाय या ग्राम पंचायत का हिस्सा ना होने से वहां के नागरिकों के पास ना तो राशन कार्ड था और ना ही ऐसा कोई दस्तावेज, जिससे वह अपने आप को निकाय या ग्राम पंचायत का रहवासी बता सकते. इसी प्रकार तमाम कागजी कार्यवाही स्थाई पते के बिना अधूरी थी ।
न्यूज जंगल पॉलिटिकल डेस्क :- शहर की 500 आबादी वाला एक हिस्सा ऐसा था, जिसके पास पिछले 44 सालों से वोट देने का अधिकार नहीं था और इस बार नगरपालिका का सीमा विस्तार हुआ तो उन्हें अपने मताधिकार का मौका तो मिला ही, साथ ही तमाम वह सुविधाएं भी मिलने लगेंगी जिसके वह हकदार थे ।
निकाय बनने से पहले शहर ग्राम सभाओं में बंटा हुआ था और इन ग्राम सभाओं में पिठनी खुर्द भी हुआ करता है जिसकी आबादी बहुत कम थी, लेकिन इसे नगरपालिका ने अपना हिस्सा तो बना लिया है लेकिन 500 आबादी वाले गोबरहवा बाजार को छोड़ दिया गया है इतना ही नहीं इसे ग्राम पंचायत में भी नहीं जोड़ा गया है निकाय चुनाव से नहीं जुड़ा तो कोई बात नहीं, लेकिन इससे सटी ग्राम पंचायत थरौली से भी नहीं जोड़ा गया है अब इनके पास ना तो नगरपालिका और ना ही ग्राम पंचायतों के चुनाव में वोट देने का अधिकार है ।
जब-जब निकाय या ग्राम पंचायत चुनाव के बिगुल बजते तो स्थानीय निवासी जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक का घेराव करते है आश्वासन मिलता रहा है । लेकिन पिछले 44 सालों से नतीजा गायब रहा है गोबरहवा वासियों का अब जाकर इंतजार समाप्त हुआ है जब शहर के नगरपालिका का सीमा विस्तार किया गया है इस बार उनका नाम नगरपालिका की वोटर लिस्ट में होगा और उनके पास वोटिंग का भी अधिकार होगा अब ।
गोबरहवा में लगती है जिले की सबसे बड़ी सप्ताहिक बाजार
गोबरहवा बाजार जो पिछले 44 सालों से नगर निकाय या ग्राम पंचायत का हिस्सा नहीं था. वह पहचान का मोहताज तब भी नहीं था और आज भी नहीं है और यहां पर जिले की सबसे बड़ी सप्ताहिक बाजार मंगलवार के दिन लगती है. पुराने समय में यहां पर सब्जी मंडी से लेकर मछली मंडी तक, जानवरों की मंडी से कपड़ों की मंडी तक, गल्ला मंडी से लेकर खाने-पीने तक हर वो छोटी बड़ी दुकानें सजाई जाती थीं । दूरदराज के लोग यहां दुकान लगाने और सामान खरीदने भी आया करते थे । मोहल्ला वासियों केवल एक बात का मलाल था कि उनका वार्ड किसी भी ग्रामसभा या नगरपालिका का हिस्सा नहीं था ।
नहीं मिल पा रही थी नागरिक सुविधाएं
निकाय या ग्राम पंचायत का हिस्सा ना होने से वहां के नागरिकों के पास ना तो राशन कार्ड था और ना ही ऐसा कोई दस्तावेज, जिससे वह अपने आप को निकाय या ग्राम पंचायत का रहवासी बता सकते और इसी प्रकार तमाम कागजी कार्यवाही स्थाई पते के बिना अधूरी थी और नगर पालिका में सीमा विस्तार के बाद यह बुद्ध नगर वार्ड का हिस्सा बन चुका है. सिद्धार्थनगर जिले के मुख्यालय पर स्थित रेलवे स्टेशन से सटे इस 500 आबादी वाले मोहल्ले का नाम ना तो किसी ग्राम सभा में था और ना ही नगरपालिका में. तमाम स्थानीय लोग हर प्रकार की कोशिश करके थक चुके थे । जनप्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों से भी मिले, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई।
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