सुधीर सूरी हत्याकांड में एजेंसियों के रडार पर आया अमृतपाल

अमृतपाल के सोशल मीडिया अकाउंट से पाई गई कुछ तस्वीरों में सूरी हत्याकांड के बाद उसके हत्यारों के प्रति हमदर्दी जताई गई है. ये पोस्टर गुरुमुखी भाषा में लिखा गया है. सूरी हत्याकांड के बाद जैसे ही अमृतपाल खुफिया एजेंसियों के निशाने पर आया 7 अक्टूबर को उसका ट्विटर अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया, लेकिन इस दौरान जांच एजेंसियों को अमृतपाल के खालिस्तान समर्थक मंसूबे और उसकी गतिविधियों का अंदेशा लग चुका था

न्यूज जंगल डेस्क :- अमृतसर में हिंदू नेता व शिवसेना (टकसाली) के अध्यक्ष सुधीर सूरी हत्याकांड के बाद पंजाब खालिस्तान आतंकवाद की तफ्तीश में अमृतपाल का नाम जैसे ही खुफिया एजेंसियों के रडार पर आया है और उसके बारे में नई-नई जानकारियां सामने आने लगीं है जांच एजेंसियों ने अमृतपाल के सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक करने से पहले उसका आकलन किया कि क्या गतिविधियां संचालित करता था और अमृतपाल के ट्विटर और सोशल मीडिया अकाउंट से यह बात जाहिर हुई है कि पिछले कई सालों से वह खालिस्तानी समर्थित विचारधारा का समर्थन करता था और भिंडरावाला को अपने सोशल मीडिया पेज पर बतौर हीरो पेश करता था. अमृतपाल के सोशल मीडिया अकाउंट के कुछ पेज हैं, जिससे उसकी मंशा जाहिर हो रही है ।

अमृतपाल के सोशल मीडिया अकाउंट से पाई गई कुछ तस्वीरों में सूरी हत्याकांड के बाद उसके हत्यारों के प्रति हमदर्दी जताई गई थी और ये पोस्टर गुरुमुखी भाषा में लिखा गया है. सूरी हत्याकांड के बाद जैसे ही अमृतपाल खुफिया एजेंसियों के निशाने पर आया 7 अक्टूबर को उसका ट्विटर अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया है लेकिन इस दौरान जांच एजेंसियों को अमृतपाल के खालिस्तान समर्थक मंसूबे और उसकी गतिविधियों का अंदेशा लग चुका था. अमृतपाल के फेसबुक अकाउंट के कुछ पेज में उसने भिंडरावाले के प्रति समर्थन जताया है और अमृतपाल खुफिया एजेंसियों के रडार पर ऐसे ही नहीं आया, बल्कि इसके पीछे पिछले दो महीने से चल रही उसकी गतिविधियां भी हैं ।

इसके पहले 4 अगस्त को ट्विटर पर किए गए पोस्ट में लिखा था, कि ‘क्या तिरंगा हमारा झंडा है हमारा यानी कि सिखों का? तिरंगा हमारा झंडा नहीं है और अगर हमारा झंडा होता तो दरबार साहब पर हमला करके सिखों के झंडे को उतारकर तिरंगा क्यों लहराया गया था ?’

एजेंसियां इसलिए भी चिंतित हैं, क्योंकि आईएसआई कनाडा, अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन में बैठे खलिस्तानियों को खुला समर्थन दे रही है. खलिस्तानी संगठनों ने सैकड़ो फर्जी ट्वीटर हैंडल बनाए हैं और जिनसे खलिस्तान समर्थन वाले पोस्ट किए जाते हैं. 10 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच खालिस्तान रेफरेंडम के समर्थन में 29032 ट्वीट किए गए है जांच एजेंसी की तफ्तीश में यह बात सामने आई है कि ये अकाउंट पाक से हैंडल किए जा रहे थे ।

अमृतपाल की सभाओं में होने वाली भीड़ के वीडियो की गहनता से पड़ताल करी जा रही है और माना जा रहा है कि अमृतपाल के भाषण और पंजाब के युवाओं में उसकी तेजी से बढ़ती घुसपैठ लोन वूल्फ यानि अकेले इंसान द्वारा खतरनाक तरीके से महत्वपूर्ण लोगों पर किया जाने वाला हमला है जैसे हमले को बढ़ावा दे सकती हैं. खलिस्तान समर्थक इसी हालात की ताक में हैं ।

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