राहुल गांधी की 2 साल की सजा बरकरार, गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

मोदी उपनाम मानहानि केस में राहुल गांधी को गुजरात हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने इस मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध संबंधी उनकी याचिका खारिज कर दी है. सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए 2 साल जेल की सजा सुनाई थी.

News Jungal Desk :मोदी उपनाम वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध संबंधी याचिका गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने खारिज कर दिया है । न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक की अदालत ने सुबह 11 बजे फैसला सुनाया है । इस तरह उनकी सजा बरकरार रहेगी । राहुल गांधी गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करेंगे । और कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ वकीलों से गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर चर्चा हो रही है ।

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए 2 साल जेल की सजा सुनाई थी । और फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था । राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे ।

सूरत मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ राहुल गांधी गुजरात हाई कोर्ट पहुंचे थे। गुजरात हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति हेमन्त प्रच्छक ने बोला , ‘आप ऐसे आधार पर सजा पर रोक की मांग कर रहे हैं, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है. सजा पर रोक लगाना कोई नियम नहीं है. आपके खिलाफ कम से कम 10 क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं. इस केस के अलावा ​मानहानिक के कुछ और केस आपके खिलाफ फाइल किए गए हैं । और एक तो वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है. किसी भी हाल में सजा पर रोक नहीं लगाना अन्याय नहीं है. इस केस में सजा न्यायोचित और उचित है. सूरत कोर्ट के फैसले में दखल की आवश्यकता नहीं है. याचिका खारिज की जाती है ।

कांग्रेस कार्यकर्ता की नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन
राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले पर गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में पार्टी मुख्यालय पर नारे लगाए और विरोध प्रदर्शन किया था । कर्नाटक के डिप्टी सीएम और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने बोला , ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्याय नहीं हुआ है यह लोकतंत्र की हत्या है । फिर भी, पूरा देश और विपक्षी दल राहुल गांधी के साथ खड़े हैं. वह एक महान नेता हैं जो आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं देश को एकजुट करना है…भाजपा नेता इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. वे उन्हें संसद में पहुंचने से रोकना चाहते हैं…मुझे लगता है कि वह (राहुल गांधी) मजबूत होंगे…’

क्या है मोदी सरनेम केस?
दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करते हुए राहुल गांधी ने कर्नाटक की एक रैली में कहा था, ‘नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी… इन सभी का सरनेम मोदी कैसे है? सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों है?’ इसी मामले में गुजरात के भाजपा नेता पूर्णेशचंद्र मोदी ने राहुल गांधी पर ओबीसी समाज का अपमान करने का आरोप लगाते हुए आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था. राहुल गांधी ने 2014 में संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया था. एक संघ कार्यकर्ता ने राहुल पर IPC की धारा 499 और 500 के तहत मामला दर्ज कराया था. यह केस महाराष्ट्र के भिवंडी कोर्ट में चल रहा है.

वीर सावरकर पर ​अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उनके पोते सत्यकी सावरकर ने भी राहुल गांधी पर मानहानिक का मुकदमा दर्ज कराया है. राहुल गांधी के खिलाफ 2018 में झारखंड की राजधानी रांची में एक और मानहानिक का केस दर्ज हुआ था. इसमें रांची की सब-डिविजनल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इसमें राहुल के उस बयान पर आपत्ति जताई गई है, जिसमें उन्होंने ‘मोदी चोर है’ कहा था. इस साल 24 मार्च को संसद की सदस्यता रद्द होने के बाद राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, ‘मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं. हर कीमत चुकाने के लिए तैयार हूं ।

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