एन चंद्रशेखरन ने टाटा समूह को किया था बतौर इंटर्न ज्वाईन, ऐसे पहुंचे टॉप पर

लंबी दूरी के मैराथन रनर एन चंद्रशेखरन पिछले 35 सालों से टाटा समूह में हैं और ऐसा मजबूत स्तंभ बने हुए हैं जिनके ऊपर समूह की दूसरी बार जिम्मेदारी दी गई है

न्यूज़ जंगल नेटवर्क, कानपुर : टाटा समूह की कमान अगले पांच साल के लिए एक बार फिर नटराजन चंद्रशेखरन के हाथ में है और इससे एक बार फिर यह साबित हो गया है कि सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए मेहनत और लगन के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. पांच बरस पहले साइरस मिस्त्री के बाद दूसरी पसंद के तौर पर सामने आए एन चंद्रशेखरन ने इस नियुक्ति से यह दिखा दिया कि वह देश की सबसे बड़ी कंपनी के निर्विवाद मुखिया हैं.

35 साल से टाटा ग्रुप से जुड़े हैं
चंद्रशेखरन के करीबी उन्हें ‘‘चंद्रा’’ कहकर बुलाते हैं. वह पिछले 35 बरस से टाटा समूह से जुड़े हैं. कंपनी के प्रति उनकी निष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करीब डेढ़ सौ साल से ज्यादा पुरानी कंपनी के वह पहले गैर पारसी प्रमुख हैं. 2017 में उन्हें पहली बार सायरस मिस्त्री के स्थान पर टाटा समूह का प्रमुख बनाया गया था. मिस्त्री ने उनकी नियुक्ति को अदालत में चुनौती दी थी और एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2020 में उच्चतम न्यायालय ने चंद्रशेखरन की नियुक्ति को सही ठहराकर एक बड़े कॉरपोरेट विवाद का अंत किया.

भारत में ही ली है शिक्षा
नटराजन चंद्रशेखर का जन्म दो जून 1963 को तमिलनाडु में नमक्कल जिले के मोहानूर गांव में हुआ था. गांव के स्थानीय सरकारी स्कूल में वह अपने बड़े भाइयों के साथ पढ़ने जाया करते थे. उनकी शुरुआती शिक्षा तमिल माध्यम से हुई. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कोयंबटूर के इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक और रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज तिरुचिरापल्ली से कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर्स यानी एमसीए की पढ़ाई की.

कंपनी के इंटर्न से टॉप तक पहुंचे शेखरन
उन्होंने आईआईएम कोलकाता से एमबीए की डिग्री भी हासिल की है. 1986 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के एक साल बाद चंद्रशेखर टाटा समूह में एक इन्टर्न के तौर पर भर्ती हुए और समय के साथ विभिन्न जिम्मेदारियां संभालते हुए समूह के शीर्ष तक पहुंचे.

समूह के लिए बने निर्विवाद पसंद
एअर इंडिया को टाटा समूह में वापस लाने में अहम भूमिका निभाने वाले चंद्रशेखरन को रतन टाटा का करीबी माना जाता है और पिछले पांच वर्ष में उन्होंने जिस तरह से कंपनी के मुनाफे और कामकाज का विस्तार किया है वह उन्हें दूसरी बार कंपनी की कमान सौंपे जाने के लिए काफी है. दूसरे कार्यकाल के लिए रतन टाटा ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा और बोर्ड के सभी सदस्यों ने उनके नाम पर एकमत सहमति जताई. इसका मतलब है कि चंद्रशेखरन अगले पांच साल के लिए टाटा संस के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन होंगे. नटराजन चंद्रशेखरन का पहला कार्यकाल फरवरी में ही खत्म हो रहा था. दूसरी बार उनका चुना जाना लगभग तय था और इसीलिए किसी और नाम को लेकर कयास भी नहीं लगाए जा रहे थे.

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एन चंद्रशेखरन एक मैराथन रनर भी हैं
पद्म भूषण से सम्मानित चंद्रशेखरन को फोटोग्राफी का शौक है और वह संगीत सुनना भी पसंद करते हैं. उनके व्यक्तित्व का सबसे उल्लेखनीय पहलू यह है कि वह लंबी दूरी के धावक हैं. उन्होंने दुनियाभर में बहुत सी मैराथन में हिस्सा लिया है और घंटों तक मीलों दौड़ते रहने के दौरान वह मानसिक रूप से इतना मजबूत हो गए कि अपनी जिंदगी की मैराथन में भी कदम दर कदम मंजिल की तरफ बढ़ते रहे और विजेता बनकर उभरे. उन्होंने दौड़ के अपने शौक को कागज पर उतारते हुए ‘‘रनर्स वर्ल्ड’’ नाम से एक किताब भी लिखी है.

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