चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को, संपूर्ण भारत में रहेगा प्रभाव, इस समय से शुरू होगा सूतक काल

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8 नवंबर को पड़ने वाले चंद्र ग्रहण के बारे में जानिये, क्या रहेगा ग्रहण का परिणाम, 15 दिनों के अंदर सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण पड़ना है अशुभ संकेत. महाभारत काल में भी 15 दिनों के अंदर दो ग्रहण पड़े थे, जिसमें महायुद्ध जैसे घातक परिणाम सामने आए थे ।

न्यूज जंगल डेस्क :- 8 नवंबर 2022 को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण पड़ रहा है । लेकिन इस बार का चंद्रग्रहण कुछ खास रहने वाला है लोगों का मा्नना है कि इस वर्ष 15 दिनों के अंदर सूर्य ग्रहण के पश्चात चंद्र ग्रहण का पड़ना अशुभ संकेत है. महाभारत काल में भी 15 दिनों के अंदर दो ग्रहण पड़े थे, और जिसमें महायुद्ध जैसे घातक परिणाम सामने आए थे इस बार पड़ने वाले चंद्र ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ने के आसार हैं

सतना के ज्योतिष पंडित शरद द्विवेदी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दिन मंगलवार दिनांक 8 नवम्बर 2022 को लगने वाला इस वर्ष का अखरी खग्रास चंद्रग्रहण भारत मे ग्रस्तोदित (ग्रस्त उदय) चन्द्र ग्रहण के रूप में दिखेगा और यानि चंद उदय के समय ग्रहण होगा चंद्रोदय के समय भारत के सभी स्थानों मे यह ग्रहण दिखाई देगा क्योकि चंद्रोदय से पूर्व ही ग्रहण प्रारम्भ हो जाएगा और खण्ड और खग्रास ग्रहण का प्रारम्भ भारत के किसी स्थान से दिखाई नहीं देगा क्योंकि चन्द्रोदय होने से पूर्व ही ग्रहण प्रारम्भ हो जाएगा और यह ग्रहण उत्तरी तथा दक्षणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशिया, अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा और खण्ड और खग्रास चन्द्र ग्रहण का मोक्ष भारत के पूर्वी भागों में दिखाई देगा. देश के बाकी हिस्सों में खण्ड चंद्रग्रहण का मोक्ष दिखाई पड़ेगा ।

ग्रहण पड़ने का समय
भारतीय मानक समयानुसार ग्रहण का प्रारम्भ दिन में 2 बजकर 39 मिनट पर होगा, मध्य दिन में 4 बजकर 29 मिनट पर तथा मोक्ष सायं 6 बजकर 19 मिनट पर होगा, काशी पंचांग के हिसाब से काशी में चंद्रोदय 5 बजकर 10 मिनट खग्रास समाप्ति सायं 5 बजकर 13 मिनट में और मोक्ष 6 बजकर 19 मिनट में रहेगा सूतक 9 बजकर 4 मिनट से सूतक समाप्ति मोक्ष पर्यंत, चन्द्रग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घण्टे पूर्व शुरु हो जाता है ।

किस राशि के लिए कितना लाभकारी यह ग्रहण
मिथुन, कर्क, वृश्चिक और कुंभ राशि वालों के लिए यह ग्रहण शुभ का संकेत है और जबकि शेष राशि वाले सावधान व सतर्क रहें और  ग्रहण काल मे सभी जलाशयों का जल गंगाजल के समान होता है, ग्रहण काल मे जप किया गया मंत्र 100 गुणा फल करता है. अतः इस दिन ग्रहण काल मे कोई भी मंत्र का 21 माला से अधिक जाप करने पर मंत्र सिद्ध किया जा सकता है और समय परिस्थिति में इसे एक माला का जाप कर आपकी परेशानियों से मुक्ति दिला सकता है यह ग्रहण प्रारम्भ काल से मोक्ष तक जाप करना चाहिये, ग्रहण काल मे शयन नही करना चाहिये, भोजन नही करना चाहिये, ब्रह्मचर्य पालन करना चाहिये, मल-मूत्र विसर्जन नही करना चाहिये और चावल, चांदी, मोती, सफ़ेद कपड़े, दूध, मिश्री, श्वेत वस्तुओं का दान करें, घर की मूर्तियों को न छुए मंदिर के कपाट बंद रखे वृक्षो का स्पर्श भी नही करना चाहिए ।

यह परिस्थिति विश्व के लिए शुभ नहीं
ज्योतिषियों का कहना है कि एक ही पखवाड़े यानि (15 दिवस के अंदर ) दो ग्रहण पड़ना अशुभ माना जाता है. बताते हैं कि महाभारत काल में भी 15 दिन के अंदर ही दो ग्रहण पड़े थे. जिसमें महायुद्ध हुआ और लाखों सैनिक हताहत हुए थे अतः इस परिस्थिति को विश्व के लिये शुभ नहीं कहा जा सकता. है ।

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