GSVM : अच्छी तरह से खा-पी रहे बच्चों में कुपोषण का खतरा पड़ेगा मालूम

News Jungal Desk Kanpur : अब वह दिन भी दूर नहीं जब अच्छी तरह से खा-पी रहे बच्चों में कुपोषण का खतरा आसानी से मालूम लग सकेगा। उनमें भविष्य में इसकी समस्या कब हो सकती है, इसका सटीक आकलन किया जा सकेगा। यह सब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के कुपोषण मॉडल से होगा जिसे माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री और पीडियाट्रिक विभाग मिलकर विकसित कर रहे हैं। इस काम में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का सहयोग भी लिया जा रहा है।

इस तरह से मिलेगा पूरा डाटा

इस मॉडल में बच्चे की बस थोड़ी सी जानकारी डालनी होगी जिसके बाद पूरा का पूरा डाटा सामने आ जाएगा। मॉडल को पूरा करने के लिए पांच वर्ष तक के बच्चों की जानकारी जुटाई जा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से डिटेल ले रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव, एमआरयू लैब के डॉ. आलोक राघव, बायोकेमिस्ट्री विभाग के डॉ. प्रशांत त्रिपाठी इस मॉडल पर मिलकर काम कर रहे हैं।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दे दी गयी

डॉ. आलोक राघव ने बताया कि आंगनबाड़ी वर्कर्स को ट्रेनिंग दी गई है। उन्हें बच्चों की कमर, सीने की नाप, वजन लेना होता है। माता-पिता से जन्म के समय वजन, बच्चे ने कितने समय तक दूध पिया है आदि जानकारी लेनी पड़ती है। अब तक करीब 350 बच्चों की डिटेल ली गई है। इनमें 70 कुपोषित मिले हैं। मॉडल को डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के आधार पर तैयार किया जा रहा है। इसे कुछ ही हफ्तों में बना लिया जाएगा।

मॉडल बनाने में लेगें आईआईटी से सहयोग

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का मॉडल कंप्यूटराइज्ड और सॉफ्टवेयर आधारित रहेगा। इसके डिजाइन के लिए आईआईटी कानपुर से सहयोग लिया जा सकता है। वहां के विशेषज्ञ साफ्टवेयर में कई खूबियां डाल सकेंगे।

जानें किस वजह से बढ़ रहा कुपोषण

अधिकतर आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद घरों के बच्चों में कुपोषण की समस्या मिलती है। कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं जिन्हें मां का दूध नहीं मिल पाता है। उनमें आगे चलकर कुपोषण होने की आशंका होती है। आजकल घरों में नूडल्स, पास्ता और अन्य फास्ट फूड्स का चलन बढ़ गया हैं। नन्हे-मुन्ने इनके काफी शौकीन रहते हैं। उन्हें चौकलेट, बंद, बर्गर आदि भी पसंद होता है। ऐसे में संतुलित भोजन न करने से कुपोषण की समस्या बढ़ रही है। यही आगे चलकर बीमारी के रूप में सामने आता है।

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