न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर कोरोना के बाद उत्तर प्रदेश में जीका के 4 मामले कानपुर में सामने आ चुके हैं। इससे लोगों में डर है। इस विषय पर एक्सपर्ट्स से बात की। उन्होंने कहा कि सामान्य स्वस्थ पुरुष या महिला को जीका से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को खास ख्याल रखने की जरूरत है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक जीका वायरस से मरीज की मौत की आशंका बेहद कम होती है। 80 फीसदी मरीज 14 दिन में ठीक हो जाते हैं।



80% पेशेंट असिम्प्टोमेटिक
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉक्टर विकास मिश्रा के मुताबिक 80% केसेस में स्वस्थ व्यक्ति में कोई लक्षण ही नहीं (असिम्प्टोमेटिक) आते हैं। 14 दिन बाद ये अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। बाकी 20% केसेस में गंभीर बीमारी से ग्रसित और जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उन्हें ही हॉस्पिटल में एडमिट होने की सलाह दी जाती है।
गर्भपात की भी आशंका
डॉ. मिश्रा के मुताबिक, ईयर-2016 में फ्रेंच पौलिनेशियाई देश में जीका में म्यूटेशन का केस सामने आया था। इसने सिर्फ गर्भवती महिलाओं पर ही खास प्रभाव डाला था। शुरुआती 3 महीने की गर्भवती महिलाओं के लिए काफी नुकसानदायक है। इससे पैदा होने वाले बच्चे में कोई दिमागी बीमारी हो सकती है। कई मामलों में गुलियन बैरी सिंड्रोम भी बच्चों में हो जाता है। इससे गर्भपात और मृत बच्चे के पैदा होने की आशंका भी होती है।
5 लाख में सिर्फ 18 मौतें
- ग्लोबल एलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन (जीएवीआई) के मुताबिक पूरी दुनिया में 2015 और 2016 में जीका के 5 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे। इसमें जीका से होने वाली मौतें महज 18 ही रिपोर्ट हुई थीं।
- जबकि बच्चों पर इसका ज्यादा असर देखा गया। उस दौरान 2 सालों में करीब 3700 बच्चे ऐसे थे, जो किसी ने किसी बीमारी के साथ जन्मे थे। 2016 में ही केरल और अहमदाबाद में जीका के मामले सामने आए थे।
जीका का पहला मरीज बिलकुल स्वस्थ
कानपुर में जीका का पहला मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। बता दें कि जीका के लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया और येलो फीवर जैसे ही हैं। इसमें बुखार आना, शरीर पर चकत्ते और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण होते हैं।
कई मामलों बुखार के साथ प्लेटलेट्स काउंट गिर जाता है। इसलिए इसकी जांच जरूरी है। डॉक्टर विकास मिश्रा के मुताबिक जीका से होने वाली मौतों के मुकाबले डेंगू से ज्यादा लोग मरते हैं। इसलिए, मच्छर से बचाव बेहद जरूरी है।
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हवा में नहीं फैलता है जीका
डॉक्टर्स के मुताबिक जीका हवा से फैलने वाला वायरस नहीं है। ये एडीज एजिप्टी नाम के मच्छर के काटने से होती है। WHO के मुताबिक ये एडीज मच्छर आमतौर पर दिन में ही काटते हैं। ये वही मच्छर होते हैं जो डेंगू और चिकनगुनिया फैलाते हैं। एडीज मच्छर के लार्वा को मारकर इस बीमारी से तेजी से छुटकारा पाया जा सकता है।
जीका इनके लिए चिंताजनक
- कोमॉर्बिट पेशेंट (किसी बीमारी से ग्रसित)
- प्रतिरोधक क्षमता जिनकी कम हो
- गर्भवती महिलाओं को
इस तरह दूसरा व्यक्ति हो सकता है संक्रमित
- जीका से संक्रमित से संबंध बनाने पर
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए
जीका से बचाव के तरीके
- मच्छरदानी में सोएं
- फुल बाह के कपड़े पहने
- बुखार-सिरदर्द होने पर जांच कराएं
- स्किन पर चकत्ते होने पर अलर्ट हो जाएं
- पानी खूब पीएं