यूनिफार्म सिविल कोड पर मुस्लिम युवाओं और बुजुर्गों की अलग-अलग राय, जानें किसने क्या कहा?

 इन दिनों देशभर में यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर चर्चा है. जहां एक ओर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसका विरोध कर रहा है तो वहीं आमलोगों में भी इसको लेकर अलग-अलग राय है । मेरठ में मुस्लिम महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों से इस बारे में बात की. जहां एक ओर युवा इसके पक्ष में दिखे तो वहीं बुजुर्गों ने इसका समर्थन नहीं किया है ।

News Jungal Desk : यूनिफार्म सिविल कोड यानी यूसीसी आजकल देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है । सभी की अपनी अपनी राय है. मुस्लिम यूथ का कहना है कि एक देश में एक कानून होना चाहिए. मुस्लिम लड़कियां इस बात से इत्तेफाक रखती हैं कि शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 कर देनी चाहिए । मेरठ के इस्माइल पीजी कॉलेज की छात्राओं ने मुखर होकर अपनी आवाज़ बुलंद की । एक मुस्लिम लड़की ने कहा कि जब एक देश में सभी रहते हैं तो कानून भी एक होना चाहिए. इस युवती ने कहा कि कानून सभी के लिए समान होगा, चाहे वो हिंदू हों, मुस्लिम हों, सिख हों या ईसाई हों. एक मुस्लिम लड़की ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार को कार्य करना चाहिए ।

एक तरफ यूथ की अपनी राय है । तो दूसरी तरफ मेरठ शहर काजी जैनुस साजिदीन का कहना है कि सारे चमन में एक सा व्यवहार होगा तो देश खूबसूरत नहीं बन सकता है । वो कहते हैं कि यूसीसी कैसा होगा? क्या होगा? पहले पूरी रुपरेखा सामने आए शहर काजी का कहना है कि हमारा मुल्क बहुत बड़ा है । दूसरे देश में जहां इस्लामिक क़ानून है, वहां हमारे देश से गए हिंदू धर्म के लोगों को अपने तरीके से रहने की इजाजत दी जाती है । और फंडामेंटल राइट का हवाला देते हुए वो कहते हैं कि अगर यूसीसी लागू होता है तो हमारा हक मारा जाता है । वो कहते हैं कि अगर फायदे की बजाए नुकसान ज्यादा है तो इस पर अमल नहीं होना चाहिए ।

वहीं मदरसा इमदादुल इस्लाम के प्रिंसिपल मौलाना रहमान शाहीन जमाली चतुर्वेदी का कहना है कि इस मामले में सर्व धर्म के लोगों को बुलाकर एक राय लेनी चाहिए । और कानून को पारित करना जनता के हित में होता है । इसलिए मशवरा करना बेहतर होगा । सबके जज्बात का ख्याल  रखना चाहिए । वो कहते हैं कि ये देश हमारे रगों में बसता है । मदरसों में बच्चों को यही तालीम दी जाती है कि देश से मोहब्बत करना हमारा इमान है. उन्होंने कहा कि सिर्फ मुसलमानों का मसला नहीं है, सभी का है. इसलिए सर्व धर्म के लोगों को बुलाकर इस पर चर्चा करनी चाहिए ।

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