गूगल पर कुछ सर्च करने पर एक दर्जन स्पैम वेबपेज में से अपने लिए जरूरी पेज चुनने की जगह Chat GPT आपको पहली बार में ही सबसे उपयुक्त जवाब देता है ।
न्यूज जंगल नेशनल डेस्क :– कुछ साल पहले गूगल ने सर्च इंजन में वॉइस ऑप्शन शुरू किया गया था । इसमें गूगल से कुछ पूछने वाले लोगों को वॉइस के रूप में जवाब मिल जाता था । और इससे सुविधा यह हुई कि जिन लोगों को लिखना-पढ़ना नहीं आता था और उन्हें भी गूगल की मदद से कुछ खोजने में आसानी होने लगी । पिछले कुछ दिनों से टैक जगत में Chat GPT की काफी चर्चा है । और अगर आपने भी इसे ट्राई नहीं किया है तो हमारी सलाह है कि इसे एक बार जरूर ट्राई किया जाए इसके नतीजे बेहद शानदार हैं । Chat GPT पर आप क्वेश्चन पूछते हैं और यह किसी इंसान की तरह आपको सभी रिसर्च करने के बाद जवाब है । और इस वजह से गूगल पर कुछ सर्च करने पर एक दर्जन स्पैम वेबपेज में से अपने लिए जरूरी पेज चुनने की जगह चैट जीपीटी आपको पहली बार में ही सबसे उपयुक्त जवाब देता है ।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बेस्ड चैट जीपीटी परफेक्ट नहीं है और यह भी गलतियां कर सकता है लेकिन यह game-changing टेक्नोलॉजी से लैस प्रोडक्ट है । और गूगल को चुनौती देने वाला चैट जीपीटी पहला रियल चैलेंज है । और खबरें तो यहां तक भी हैं कि गूगल ने चैट जीपीटी के आने के बाद आंतरिक रूप से अपने सर्च बिजनेस के लिए एक रेड अलर्ट भी जारी कर दिया है ।
बिंग ने किया निवेश
चैट जीपीटी माइक्रोसॉफ्ट के निवेश वाला एक प्रोडक्ट है और जिससे माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला का बैक अप हासिल है । और दिलचस्प तथ्य यह है कि गूगल इस समय कई भाषा की प्रोसेसिंग पर काम कर रहा है और पिछले कुछ समय से उसमें कई भाषाओं का मॉडल तैयार किया जा रहा है और उसकी कैपेबल टेक्नोलॉजी भी बहुत अच्छी है । और हालांकि वह यह नहीं बता रहे हैं कि कई बार लोगों की तरफ से किए गए सर्च के नतीजे गलत हो सकते हैं । और इसकी वजह यह है कि गूगल को लगता है कि इससे उसकी छवि खराब हो सकती है । और असल मसला यह है कि अगर गूगल किसी लिंक पर क्लिक किए बिना लोगों को जवाब देने लगता है तो उनका रेवेन्यू नाटकीय तरीके से गिर सकता है और कोई भी कंपनी इस तरह की चुनौती लेने को तैयार नहीं है और शेयरधारकों या बाजार का गुस्सा झेलने की स्थिति में भी नहीं है ।
ओपन एआई
इसकी तुलना में माइक्रोसॉफ्ट पिछले कुछ सालो से बेहतरीन काम कर रही है । और सत्य नडेला के नेतृत्व में $2 अरब का निवेश ओपन एआई में किया गया है । और जिसकी मदद से चैट जीपीटी बना है. उम्मीद जताई जा रही है कि माइक्रोसॉफ्ट अगले कुछ सालों में चैट जीपीटी को खरीद सकता है । और माइक्रोसॉफ्ट के सर्च इंजन बिंग का मार्केट शेयर सिर्फ तीन फीसदी है लेकिन चैट जीपीटी के माइक्रोसॉफ्ट के दायरे में आने के बाद यह आश्चर्यजनक रूप से बदल सकता है ।
गलत नतीजे भी शामिल है
कोई भी व्यक्ति गूगल का इस्तेमाल कर किसी चीज को सर्च क्यों करेगा और जब वहां एक दर्जन विज्ञापन और कई तरह के भ्रामक नतीजे दिखते हैं । तो अगर बिंग में यह सब कुछ तुरंत दिखाई देता है तो लोग गूगल की जगह बिंग पर शिफ्ट करना पसंद करेंगे और दिलचस्प तथ्य है कि चीजें इतनी आसान भी नहीं है । और अगर शुरुआत की बात करें तो हर क्वेरी बहुत महंगी होती है । और अगर मौजूदा अनुमान के हिसाब से बात करें तो एक सर्च पर एक सेंट खर्च किए जाने की वजह से भी रोजाना के कामकाज पर लाखों डॉलर का खर्च करना पड़ सकता है।
कमाई का सवाल
सवाल यह है कि कंपनी इसे मोनेटाइज कैसे कर सकती है । और इसका जवाब यह है कि वह उससे संबंधित विज्ञापन या ऑफर दिखाकर इसकी भरपाई कर सकते हैं । और हालांकि जिस तरह गूगल कमाई कर रही है और उस लेवल पर पहुंचना बिंग के लिए काफी मुश्किल है । और यह सच है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया में बहुत तेजी से बदलाव ला रहा है, यह हमारी सोच से भी तेज चल रहा है, इसलिए अगले कुछ सालों में चैट जीपीटी को देखना सुखद अनुभव हो सकता है ।
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