कृषि कानून वापस करने के PM Modi के फैसले का क्या है UP Election से कनेक्शन

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पहले केंद्र सरकार कृषि कानून को लेकर अपने फैसले से टस से मस होने को तैयार नहीं थी, लेकिन अचानक उनका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया.

न्यूज जगंल डेस्क, कानपुर : पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज तीनों कृषि कानून वापस करने का फैसला किया है. राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने इस फैसले का एलान किया. पीएम मोदी ने कहा कि संसद के अगले सत्र में इन कानूनों को खत्म करने के लिए प्रस्ताव लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि पहले भी ये कानून किसानों की बेहतरी के लिए लाए गए थे लेकिन अफसोस है कि हम कुछ किसानों को ये बात समझाने में असफल रहे. पीएम ने आंदोलन कर रहे किसानों से वापस अपने घर लौट जाने की अपील की है.

मालूम हो कि पहले केंद्र सरकार कृषि कानून को लेकर अपने फैसले से टस से मस होने को तैयार नहीं थी, लेकिन अचानक उनका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? इसके पीछे सोची समझी रणनीति है. चुनावी नफा नुकसान का गणित है. दरअसल अगले साल की शुरूआत में पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस वक्त ‘दिल्ली की सत्ता का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है’ इस मुहावरे को एक बार फिर से सच साबित करने का प्रयास किया जा रहा है. 

14 साल के बनवास के बाद मिली थी सत्ता

मतलब यूपी के विधानसभा चुनाव से है. जहां 14 साल के बनवास के बाद पिछली बार बीजेपी प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी. बीजेपी किसी भी कीमत पर इस सत्ता को गंवाना नहीं चाहती है. कृषि कानून को लेकर प्रदर्शनकारी किसान साल भर से आंदोलन पर बैठे हैं. पश्चिमी यूपी में बीजेपी के नुकसान का अंदेशा था. यूपी के पूर्वांचल में भी बीजेपी की स्थिति पहले जैसी नहीं रही है. पिछले चुनाव में एनडीए के सहयोगी रहे ओम प्रकाश राजभर छिटक कर अखिलेश यादव के साथ जा चुके हैं. बीजेपी की तरफ से यूपी के किसान आंदोलन को जाट आंदोलन बताने की कोशिश की गई.

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BJP ने देश भर में जीत की रखी थी नींव 

पश्चिमी यूपी से ही बीजेपी ने देश भर में जीत की नींव रखी थी. ये बात साल 2014 की है. मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने इसके लिए रणनीति बनाई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों ने 80 में से 73 सीटें जीत ली थीं. 2017 के विधानसभा चुनाव में कामयाबी की ये कहानी दुहराई गई.

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