हाथ जोड़कर अभिवादन करने के हैं कई लाभ, शास्त्रों में छिपा है ‘राज’
भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर अभिवादन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. जब भी किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं. क्या आप जानते हैं कि हाथ जोड़कर प्रणाम करने का शास्त्रों में विशेष महत्व है?
NEWS JUNGAL DESK : अच्छी सेहत व दीर्घ आयु के लिए व्यायाम बहुत जरूरी है. शास्त्रों और वेदों में भी योग क्रियाओं के बारे में वर्णन मिलता हैं. भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर नमस्कार करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. हिंदू धार्मिक स्थलों में भी हाथ जोड़कर ही भगवान से प्रार्थना करते हैं. वहीं, जब भी किसी से मिलते हैं तो भी हाथ जोड़कर अभिवादन करते हैं. ऐसे में सवाल आता है कि आखिर नमस्कार करते समय हाथ जोड़ने के पीछे क्या कारण है. शास्त्रों में हाथ जोड़कर नमस्कार करना भी योग क्रिया का हिस्सा माना गया है.
शिव से जुड़ा है रहस्य
शास्त्रों में उल्लेख है कि हमारा शरीर पंचतत्वों से बना हुआ है. हमारे शरीर को दो भागों में बांटा गया है, जिसमे दाएं भाग को इडा और बाएं भाग को पिंडली कहा जाता है. माना जाता है की इडा और पिंडली नाड़ियां दोनों ही शिव और शक्ति के रूप हैं. जैसे शिव और शक्ति दोनों मिलकर अर्धनारीश्वर के रूप को पूरा करते हैं, उसी तरह जब हम दाएं हाथ को बाएं हाथ से जोड़कर हृदय के सामने रखते हैं, तो हमारा हृदय चक्र या आज्ञा चक्र सक्रिय हो जाता है. हमारे अंदर की दैवीय शक्ति हमें सकारात्मक ऊर्जा देती है. हमारे सोचने और समझने की शक्ति बढ़ जाती है. हमारा मन शांत हो जाता है. शरीर में रक्त का प्रवाह भी सही होता है. इसलिए हाथ जोड़कर अभिवादन करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचार आते हैं, जिससे दूसरे व्यक्ति के प्रति भी सम्मान की भावना आ आती है.
जानें इसके वैज्ञानिक कारण
नमस्कार शब्द संस्कृत भाषा के नमस शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है एक व्यक्ति की आत्मा का दूसरे व्यक्ति की आत्मा से आभार प्रकट करना. विज्ञान के अनुसार, हमारे हाथ की नसें हमारे सिर की नसों से जुड़ी हुई है. जब हम दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं, तो हमारे शरीर में एक चेतना आती है, जिससे हमारी याददाश्त बढ़ती है. किसी व्यक्ति को हाथ जोड़कर नमस्कार करने से सामने वाला व्यक्ति नमस्कार करने वाले को ज्यादा दिनों तक याद रख पाता है. माना जाता है कि हमारे दोनों हाथों को आचार और विचार से जोड़ा जाता है. आचार का अर्थ है धर्म और विचार का अर्थ है दर्शन. इसलिए हाथ जोड़कर नमस्कार करना चाहिए, जिससे धर्म और दर्शन दोनों में संतुलन बना रहें.
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