वो मंदिर जहां पूजा करने से घबराते हैं लोग,जाने हैरान करने वाली है वजह

0

एक हाथ वाले शिल्पकार ने एक विशाल चट्टान को रातों-रात तराश कर तैयार कर दिया था एक शिव मंदिर. इस देवालय में स्थापित शिवलिंग के दर्शन तो करते हैं लोग, लेकिन उसकी पूजा नहीं करते. यह अदभुत शिव मंदिर पिथौरागढ़ के थल कस्बे के बलतिर गांव में है

न्यूज जंगल डेस्क कानपुर : आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी एक विशाल पत्थर को काटकर, तराशकर रातों-रात कोई एक आदमी उसे खूबसूरत देवालय बना सकता है ? नहीं न लेकिन देवभूमि उत्तराखंड में ऐसा ही एक अद्भुत शिव मंदिर है, जहां कहां जाता है कि उसे एक हाथ वाले शिल्पकार ने रातों-रात तैयार किया था। हैरानी की बात ये है कि इस देवालय में स्थापित शिवलिंग के दर्शन तो लोग करते हैं। लेकिन उसकी पूजा नहीं करते । यह अदभुत शिव मंदिर पिथौरागढ़ के थल कस्बे के बलतिर गांव में है । विशाल चट्टान को रातों-रात एक हाथ से काटकर बनाए जाने की वजह से इस शिव मंदिर का नाम एकहथिया देवालय रखा गया है ।

माना जाता है । कि इस गांव में एक शिल्पी रहता था वह पत्थरों को तराशकर मूर्तियां गढ़ा करता था । लेकिन किसी हादसे में उसका एक हाथ खराब हो गया था इसके बाद गांव के लोगों ने उसका मजाक बनाना शुरू कर दिया था । उसे काम भी देना बंद कर दिया था । गांव में अपनी उपेक्षा और लोगों के ताने से वह शिल्पी परेशान हो गया था । और उसने गांव छोड़ने का फैसला लिया ।

कुछ कर दिखाने की जिद…

गांव छोड़ने से पहले वह खुद की काबिलियत साबित करना चाहता था । औऱ तब एक रात उसने अपनी छेनी-हथौड़ी और अन्य औजार लिए और गांव के दक्षिणी छोर पर उस जगह पहुंच गया था । जिस जगह का इस्तेमाल गांव वाले शौच आदि में करते थे वहां एक विशाल चट्टान थी और उस शिल्पी ने उस विशाल चट्टान को काटना और तराशना शुरू कर दिया. कमाल की बात यह कि उसने एक ही रात में अपने एक हाथ से ही उस विशाल पत्थर को देवालय का रूप में तैयार कर दिया था ।

अगली सुबह जब ग्रामीण शौच के लिए उस दिशा में गए पहुचे तो सबकी आंखें फटी रह गईं और मंदिर को देखने गांव के सारे लोग वहां जुट आए थे कारीगरी देखकर दंग गावंवालों ने कारीगर को ढूंढना शुरू किया, पर वह नहीं मिला. गांववालों ने एक-दूसरे से उसके बारे में पता करने की कोशिश करी मगर कारीगर का कुछ पता नहीं चला । वह एक हाथ वाला कारीगर गांव छोड़कर चला गया था ।

जब स्थानीय पंडितों ने उस देवालय में स्थापित शिवलिंग को देखा तो उन्होंने बताया कि शिवलिंग का अरघ शिल्पी ने विपरीत दिशा में बना दिया है और इसलिए इसकी पूजा फलदायक नहीं होगी, बल्कि दोषपूर्ण होगी. मुमकिन है कि रातों-रात इस देवालय और शिवलिंग को तैयार करने की हड़बड़ी में शिल्पी ने यह चूक कर दी. लेकिन इस शिवलिंग की कमी जानने के बाद लोगों ने कभी यहां पूजा नहीं करी है । एकहथिया देवालय की कलाकृति नागर शैली की है. । और नागर शैली के बारे में कहा जाता है कि यह कत्यूर शासनकाल की निशानी है और इस मंदिर में कहीं जोड़ देखने को नहीं मिलता है । पूरा मंदिर एक चट्टान को काटकर बनाया गया था । जो वाकई अद्भुत दिखता है ।

यह भी पढ़े – नोएडा में गिरी 100 मीटर लंबी दीवार,मलबे में दबकर 4 लोगों की मौत

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed