उत्तर प्रदेश के तमाम मेडिकल कॉलेजो में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के नियम हवा

0

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की स्थापना मुख्यतः चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने के लिये एक सरकारी कदम के रूप में की गई थी। NMC का मुख्य कार्य चिकित्सा क्षेत्र की नियामक व्यवस्था को सुव्यवस्थित करना, संस्थाओं का मूल्यांकन और शोध पर अधिक ध्यान देना है।भारत देश के तमाम मेडिकल कॉलेज एनएमसी की नियमावली का पालन करते है , मगर बात करे यदि उत्तर प्रदेश की तो यहाँ के विभिन्न मेडिकल कॉलेज एनएमसी की नियमावली की धजिया उड़ाते नज़र आ रहे है|

आपको बता दे की ये मामला उत्तर प्रदेश के तमाम मेडिकल कॉलेजो में गैर MBBS डिग्रीधारी टीचर्स को विभागाध्यक्ष बनाने से जुड़ा है |दरअसल राष्ट्रिय आयुर्विज्ञान आयोग ने फरवरी में एक अधिसूचना जारी कर , मेडिकल कालेजों में नॉन मेडिकल चिकित्सा शिक्षकों को निर्देशक डीन , प्राचार्य और विभागाध्यक्ष जैसे पदों की जिम्मेदारी देने से साफ़ इंकार किया है|

मगर उत्तर प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेज जैसे कानपूर के GSVM , लखनऊ के KGMU ,उरई और फतेहपुर के मेडिकल कॉलेज में इन नियमो की धजिया उड़ाई जा रही है |इन सभी मेडिकल कॉलेजो के बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट में नॉन मेडिकल चिकित्सा के शिक्षकों को विभागाध्यक्ष जैसे बड़े पदों पर नियुक्ति दी गयी है , जो की राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के नियमो की धज्जिया उडाता दिख रहा है |जिसके वरोध में आल इंडिया प्रे पैरा क्लीनिकल मेडिकल एसोसिएशन ने अपनी सख्त आपत्ति जताई है|

ये भी पढ़ें  :- रूस-यूक्रेन युद्ध के 34 दिन बाद भी इस जंग के खत्म होने की कोई सूरत नहीं बन पा रही है..

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *