सोमवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाता है। सावन माह में सोमवार के दिन इस व्रत के आने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। भगवान शिव को समर्पित इस व्रत में शिव परिवार की
News Jungal Media,Pvt .Ltd :- सोमवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाता है। सावन माह में सोमवार के दिन इस व्रत के आने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। भगवान शिव को समर्पित इस व्रत में शिव परिवार की सच्चे मन से उपासना करें। इस व्रत के प्रभाव से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल माना जाता है।
सोम प्रदोष व्रत रखने से रोग, दुख, ग्रह दोष आदि दूर हो जाते हैं। इस व्रत के प्रभाव से जीवन में सुख, समृद्धि, धन, संपत्ति की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में सूर्योदय से पहले उठकर सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें। भगवान शिव का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें। तांबे के लोटे में जल, सिंदूर और थोड़ा गुड़ डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करें। प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ मां पार्वती, भगवान श्रीगणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी की उपासना की जाती है। इस व्रत में शिव चालीसा और व्रत कथा का पाठ करें। भगवान शिव की आरती करें। दिनभर फलाहारी व्रत रखें। इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ फलदायी माना गया है। प्रदोष व्रत में मन ही मन में ओम नम: शिवाय का जाप करते रहें।
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