ओडिशा-खटाई में पड़ गया भाजपा और बीजद गठबंधन

दिल्ली से लौटकर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, भाजपा अकेले लड़ेगी
-बीजद के पांडियन व बॉबी दास भी लौटे पर मीडिया से बचते रहे

महेश शर्मा
भुबनेश्वर। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ओडिशा में भाजपा व बीजद गठबंधन फिलहाल खटाई में पड़ गया है। ओडिशा भाजपा अध्यक्ष मनमोहन सामल ने कहा कि राज्य में पार्टी अकेले लड़ेगी। बीजद नेता वीके पांडियन और बॉबी दास ने मीडिया के समक्ष कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। दोनों दलों के नेता शुक्रवार दोपहर बाद दिल्ली से लौटे थे।

हालांकि इसकी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी थी। इससे लोकसभा में मोदी को मजबूती मिलती। सूत्र की मानें तो सीटों का बंटवारा तय हो गया था जिसके तहत लोकसभा की 21 सीटों में 7 पर बीजद और 14 पर भाजपा को लड़ना था जबकि विधानसभा में 100 पर बीजद और 47 पर भाजपा के प्रत्याशी लड़ाने पर बात बनते-बनते रह गयी। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं। इस संभावित गठबंधन के सूत्रधार रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव बताए जाते हैं। दोनों के साथ लड़ने से ओडिशा 85 प्रतिशत वोट इस गठबंधन मिल सकता था। फिलहाल ओडिशा से लोकसभा में 12 बीजद 8 भाजपा और एक कांग्रेस का सांसद है। जबकि विधान सभा में 112 बीजद 25 भाजपा और 10 कांग्रेस की सीटें हैं।
यह गठबंधन 1999-2000 में भी था। बाद में खटपट हुई तो 15 साल तक चलती रही। इस गठजोड़ के टूटने के बाद शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की चौधराहट अब बनी रहने की उम्मीद बढ़ गयी है। अभी भी वह ओडिशा में भाजपा का चेहरा हैं। बताते हैं कि प्रधान को सम्बलपुर लोकसभा सीट से लड़ने को कहा गया है। एक बार बिहार और दूसरी बार उन्हें मध्यप्रदेश से राज्यसभा भेजा गया था। अब सीधे लड़ने की कहा गया है। यह गठबंधन यदि होता तो ज्यादा नुकसान भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश के प्रभारी बैजयन्त जय पांडा को हो सकता था। पंडा ओडिशा के केंद्रपाड़ा संसदीय क्षेत्र से लड़ते हैं। चार बार के सांसद (दो बार लोस व दो बार रास) पांडा को 2019 में भाजपा ने पंडा को टिकट दिया था। उन्हें बीजू जनता दल के ओड़िया फ़िल्म स्टार अनुभव महंती ने हरा दिया था। एक बार उनपर पथराव किया गया था जिससे वह घायल हो गये थे। उन्होंने बीजद नेताओं और कार्यकर्ताओं पर घटना का ठीकरा फोड़ा था।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से उनका सीधा पंगा है। 2019 कि चुनाव में नवीन पटनायक की लगातार गिरती सेहत की अफवाह और उनके उत्तराधिकार को लेकर तरह-तरह की अटकलों का बाजार गरम हो गया था। इस बाबत पटनायक को सफाई देनी पड़ गयी थी। एएनआई को इंटरव्यू में नवीन पटनायक के सिपहसालार ब्यूरोक्रेट से राजनीति में सक्रिय हुए कैबिनेट मंत्री वीके पांडियन ने इसका खुलासा भी किया था।
गठबंधन की संभावना टूटने की ठोस वजह पता नहीं चल सकी है लेकिन दोनों दलों के सूत्र बताते हैं कि उम्मीद कायम है। प्री इलेक्शन ना सही तो पोस्ट इलेक्शन गठबंधन हो ही जायेगा। बीजद पहले से ही मोदी की मुरीद है।

-लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

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