जानें युवाओं को पत्थरबाज बनाने की PFI की क्रोनोलॉजी

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न्यूज जंगल नेटवर्क, कानपुर :उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, सहारनपुर समेत 8 से ज्यादा शहरों में शुक्रवार को पत्थरबाजी हुई। इसमें शामिल लोगों में 60% से ज्यादा युवा दिखे। ये सिर्फ उत्तर प्रदेश की बात नहीं है। देशभर में 2008 के बाद से ही युवाओं के पत्थरबाजी करने की घटनाएं लगातार बढ़ने लगीं। यहां हमने 6 ग्राफिक में ऐसी 5 बड़ी घटनाओं का जिक्र किया है जिनमें बच्चों और युवाओं को उकसाकर पत्थरबाजी करवाई गई।

हम यह भी बताएंगे कि पढ़ने-लिखने की उम्र में इन युवाओं के हाथ में पत्थर कौन पकड़ा देता है।

साल 2010 –10 साल के बच्चे पुलिस के सामने तन कर खड़े हुए देखें गए।
जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग थी उस बीच मुठभेड़ हुई पुलिस फायरिंग में एक लड़का मारा गया हिंसा और भी ज्यादा भड़क गई 10– 10 साल के बच्चे सड़कों पर उतर आए हथियारबंद पुलिस के ऊपर पत्थरबाजी की गई पत्थरबाजी के बदले युवाओं को कपड़े दिए गए और इसकी वजह है कि गरीबी,। गरीब बच्चों को शिकार बनाया जाता है जो गरीब और बेरोजगार होते हैं गरीब परिवार के बच्चों को फंडिंग दी जाती है पत्थरबाजी करने के लिए कपड़े और जूते दिए जाते हैं।
साल 2016– पत्थरबाज ज्यादातर गरीब और कम पढ़े लिखे नौजवान होते हैं 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बुरहान वानी मारा गया साल भर विरोध प्रदर्शन हुआ हंगामे और पत्थरबाजी हुई कश्मीर में 2653 पत्थरबाजी की घटनाएं हुई 90 से ज्यादा युवाओं की मौत हो गई बच्चों से जबरजस्ती पत्थरबाजी करवाई गई गरीबी बंग्लादेशी आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन ने युवाओं को ट्रेंड किया और इसके लिए बंगाल के वर्धमान और मुर्शिदाबाद के मदरसों का इस्तेमाल किया इसमें ज्यादातर कम पढ़े लिखे और गरीबों को चुना गया था
साल– 2017 बच्चे पढ़ना चाहते थे पर उन्हें पत्थरबाजी के लिए उकसाया गया कश्मीर में 1412 की घटनाएं हुई की मौत के बाद भी घर में बवाल हुआ नौजवान से लेकर छोटे बच्चे शामिल हुए स्कूली बच्चों ने सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंके। पत्थर फेंकने के लिए युवाओं को ₹500 दिए जाते हैं पेट्रोल बम फेंकने का 1000 रुपए दिया जाता था युवाओं ने 1 महीने में पत्थरबाजी से 10,000 से ज्यादा कमा लिया था।

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साल 2020– पत्थरबाजी के लिए 25 साल से कम के युवाओं को उकसाया गया लखनऊ दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में सीएए एनआरसी विरोध प्रदर्शन हुआ दिल्ली के शाहीनबाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ पत्थरबाजी हुई पत्थरबाजी के लिए 25 साल से कम की युवाओं का इस्तेमाल किया गया इन युवाओं को पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाया गया ।

साल 2022- प्रदर्शनों में युवाओं से हिंसा करवाना पीएफआई की पुरानी है बीजेपी नेता ने विवादित बयान दिया था ।
3 जून को जुमे की नमाज के बाद कानपुर में हिंसा की आग भड़की शहर में पत्थरबाजी की गई पत्थरबाजी करने वालों में लगभग युवा वर्ग युवाओं को धर्म के नाम पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाया प्रदर्शन को टेकओवर करके उसमें युवाओं से हिंसा करवाना पीएफआई की पुरानी आदत रही है।

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