कांग्रेस और दूसरे दलों के दिग्गज नेताओं के भाजपा में आने से कितनी बदल गई पार्टी?
अमर उजाला आपको बता रहा है कि 2014 के बाद से भाजपा में कितना बदलाव आया है और बीते वर्षों में पार्टी में दूसरे दलों से आने वाले परिवारवादी नेताओं की संख्या किस तरह बढ़ी।
न्यूज़ जंगल नेटवर्क, कानपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को आज (26 मई) आठ साल पूरे हो गए हैं। आठ साल के दौरान देश का राजनीतिक परिदृश्य काफी हद तक बदल गया। खासकर 2014 और 2022 के बीच पार्टियों की संरचना पर ध्यान दें तो देश के दो मुख्यधारा के दल भाजपा और कांग्रेस खुद काफी बदल गए हैं। इस दौरान भाजपा मजबूत हुई तो कांग्रेस कई स्तर पर कमजोर हो गई। बात चाहे अलग-अलग राज्यों में सत्ता हासिल करने की हो या वंशवाद से जुड़े लोगों को पार्टी में रखने की। भाजपा ने बीते वर्षों में सिर्फ वोटों की जमीन ही हासिल नहीं की, बल्कि अलग-अलग पार्टियों के नेताओं को भी अपनी तरफ खींच लिया।
अमर उजाला आपको बता रहा है कि 2014 के बाद से भाजपा में कितना बदलाव आया है और बीते वर्षों में पार्टी में दूसरे दलों से आने वाले परिवारवादी नेताओं की संख्या किस तरह बढ़ी। गौरतलब है कि 2014 के बाद से विभिन्न दलों में रहे वंशवादी नेताओं का एक धड़ा भाजपा में शामिल हो चुका है।
1. जाखड़ वंश: पीएम मोदी के आठ साल के कार्यकाल में कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल हो गए। सबसे ताजा मामला पंजाब के दिग्गज नेता सुनील जाखड़ का है। उनके पिता चौधरी बलराम जाखड़ कांग्रेस के बड़े नेता रहे। उन्होंने केंद्र सरकार में कई मंत्रालय भी संभाले। जाखड़ परिवार को पंजाब में कांग्रेस के हिंदू वोट बैंक का सबसे बड़ा आधार माना जाता था।
2. सिंधिया वंश: कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया 2020 में भाजपा में शामिल हो गए। इससे पहले तक वह कांग्रेस का हिस्सा थे। उनके पिता माधवराव सिंधिया भी कांग्रेस में ही रहे। हालांकि, ज्योतिरादित्य से पहले उनकी दादी विजयाराजे सिंधिया भी भाजपाई हो गई थीं, जबकि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से ही की थी और 1957 में कांग्रेस के टिकट पर गुना से चुनाव भी लड़ा था। बाद में वह कांग्रेस से अलग हो गईं और जनसंघ को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।
3. आरपीएन सिंह-सीपीएन सिंह वंश: कांग्रेस के युवा नेताओं में शामिल आरपीएन सिंह ने भी जनवरी 2022 में पार्टी छोड़ दी। उनका पूरा परिवार उत्तर प्रदेश के पडरौना से ताल्लुक रखता है। आरपीएन के पिता सीपीएन सिंह भी कांग्रेस का बड़ा चेहरा रहे। उन्हें इंदिरा गांधी राजनीति में लाई थीं। सीपीएन सिंह 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा राज्यमंत्री रहे।
4. प्रसाद परिवार: जून 2021 में भाजपा का दामन थामने वाले जितिन प्रसाद करीब दो दशक तक कांग्रेस में ही रहे। उनके पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे थे। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार भी बने थे। जितिन प्रसाद के दादा ज्योति प्रसाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। प्रसाद परिवार की तीन पीढ़ियां कांग्रेस में रहीं, लेकिन जितिन अब भाजपा का हिस्सा हैं।
5. बीरेंद्र सिंह परिवार: कांग्रेस से 42 साल तक जुड़े रहने के बाद बीरेंद्र सिंह 16 अगस्त 2014 को जींद की एक रैली में भाजपाई हो गए। बीरेंद्र सिंह हरियाणा के प्रख्यात किसान नेता सर छोटू राम के पोते हैं और उनके पिता नेकी राम भी हरियाणा की राजनीति में काफी समय तक सक्रिय रहे। वह कांग्रेस के टिकट पर दो बार राज्यसभा पहुंचे। बीरेंद्र सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके बेटे को भी भाजपा में एंट्री मिली। बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता उचाना से भाजपा विधायक हैं।
6. अधिकारी परिवार
2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल चुनाव से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस के एक कद्दावर नेता ने पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने का एलान किया था। यह नेता थे सुवेंदु अधिकारी, जो कि तत्कालीन बंगाल सरकार में परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे थे। सुवेंदु 2000 के दशक से ही टीएमसी में जबरदस्त रूप से सक्रिय हुए और धीरे-धीरे उनको सरकार में नंबर दो माना जाने लगा था। भाजपा में शामिल होने से पहले उनके पिता शिशिर अधिकारी और भाई दिव्येंदु अधिकारी भी टीएमसी के नेता रहे। हालांकि, अधिकारी परिवार हमेशा से टीएमसी के साथ नहीं रहा, बल्कि सुवेंदु और उनके पिता शिशिर अधिकारी ने कांग्रेस से राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। शिशिर यूपीए की मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री भी रहे हैं। दूसरी तरफ सुवेंदु के छोटे भाई दिव्येंदु अधिकारी ने साल 2009, 2011 और 2016 में विधानसभा चुनाव जीता था। बाद में सुवेंदु की खाली की गई सीट पर उपचुनाव जीत कर वो संसद पहुंचे थे। वे अब भी टीएमसी का हिस्सा हैं।
7. बहुगुणा परिवार
हेमवती नंदन बहुगुणा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के काफी करीबी नेताओं में ेसे थे। हालांकि, उनका पार्टी में आना-जाना लगा रहा। इसी तरह उनका परिवार खासकर बेटे विजय बहुगुणा और रीता बहुगुणा जोशी भी लंबे समय तक कांग्रेस का हिस्सा रहे। हालांकि, अब बहुगुणा परिवार के दोनों ही नेता भाजपा का हिस्सा हैं। विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा भी उत्तराखंड से भाजपा के विधायक हैं। सिर्फ रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी ही भाजपा से अलग हुए हैं। उन्होंने यूपी चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी जॉइन करने का फैसला किया।
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8. यादव परिवार
कांग्रेस से अलग उत्तर प्रदेश में अपनी अलग वंशवादी राजनीति शुरू करने वाले मुलायम सिंह यादव का कुनबा लंबे समय तक एक साथ ही पार्टी को मजबूत करता रहा। फिर चाहे वह उनके बेटे अखिलेश यादव हों, बहू डिंपल यादव या भाई शिवपाल यादव। हालांकि, यादव परिवार के एक सदस्य ने इस साल यूपी चुनाव से पहले ही भाजपा का दामन थाम लिया। यह नेता हैं अपर्णा यादव, जिन्हें भाजपा ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए टिकट तक नहीं दिया। इसके बावजूद वे सक्रिय रूप से पार्टी का प्रचार करती नजर आईं। इसके साथ ही एक और वंशवादी पार्टी के एक उभरते चेहरे ने भाजपा के साथ अपना राजनीतिक करियर आगे बढ़ाने का फैसला किया।