GI Tag: बिहार के मिथिला में उगाये जाने वाले मखानो को मिला जी आई टैग

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न्यूज जंगल डेस्क: GI Tag: केंद्र सरकार ने बिहार के मिथिला को मखाना का जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग दे दिया है। अब इससे मखाना उत्पादकों को काफी फायदा होगा। अब वह अपने उत्पाद को और भी बेहतर दाम में बेच सकेंगे। आपको बता दे की मिथिला के मखाने अपने स्वाद, पोषक तत्व और प्राकृतिक रूप से उगाए जाने के लिए फेमस है। भारत के 90% मखाना यही उगाया जाता है। इसके अलावा बिहार को मधुबनी पेंटिंग, कतरनी चावल, मगही पान, सिलाव का खाजा, मुजफ्फरपुर की शाही लीची और भागलपुर के जरदालू आम जीआई टैग भी दिया जा चुका है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसकी जानकारी देते हुए कहा की ‘जीआई टैग से पंजीकृत हुआ मिथिला का मखाना, किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना। त्योहारी सीजन में मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने से बिहार के बाहर भी लोग श्रद्धा भाव से इस शुभ सामग्री का उपयोग कर पाएंगे।’

कब बनाया गया कानून ?
संसद में साल दिसंबर 1999 में उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण के लिए इस अधिनियम को पास किया था। इसके बाद Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999 को 2003 में लागू किया गया। इसके तहत भारत में पाए जाने वाले प्रॉडक्ट के लिए जी आई टैग दिया जाता है।

क्या है जीआई टैग ?
वर्ल्‍ड इंटलैक्‍चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के अनुसार जी आई टैग एक तरह का टैग है जिसके द्वारा किसी भी प्रॉडक्‍ट को विशेष भौगोलि‍क पहचान दी जाती है। जिसकी विशेषता मुख्‍य रूप से प्राकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है। Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999 के आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली किसी विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है।

किन उत्पादों को दिया जाता है GI Tag ?
1. खेती से जुड़े उद्पादो को जो किसी खास क्षेत्र में पैदा होती हैं।
2. हैंडीक्राफ्ट्स को।
3. खाद्य सामग्रीयो जो किसी क्षेत्र से विशेष रूप से जुडी हो।

कैसे मिलता है GI टैग ?
किसी प्रॉडक्ट के लिए जी आई टैग हासिल करने के लिए आवेदन करना पड़ता है। इसके लिए उत्पाद को बनाने वाली जाे एसोसिएशन या फिर कोई कलेक्टिव बॉडी अप्लाई कर सकती है। इसके अलावा सरकारी स्तर पर भी आवेदन किया जा सकता है। जीआई टैग अप्लाई करने वालों को यह बताना होगा कि उन्हें टैग क्यों दिया जाए। उन्हें प्रॉडक्ट के यूनिकनेस और ऐतिहासिक विरासत के बारे में बतान होगा। जिसके बाद संस्था साक्ष्यों और सबंधित तर्कों का परीक्षण करती हैं, मानकों पर खरा उतरने पर ही जीआई टैग दिया जाता है।

कौन देता है GI टैग ?
भारत में वाणिज्‍य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्‍ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड (DIPIT) की ओर से जी आई टैग दिया जाता है। भारत में यह टैग किसी खास फसल, प्राकृतिक और मैन्‍युफैक्‍चर्ड प्रॉडक्‍ट्स को दिया जाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि एक से अधिक राज्यों में बराबर रूप से पाई जाने वाली फसल या किसी प्राकृतिक वस्तु को उन सभी राज्यों का मिला-जुला जी आई टैग दिया जाता है। जैसे बासमती चावल के जी आई टैग पर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों का अधिकार है।

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