पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू गिरफ्तार,भ्रष्टाचार के आरोप में हुई कार्रवाई, जेल भेजने की तैयारी

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कौशल विकास मामले में आंध्र प्रदेश सीआईडी ने पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तारी किया है । और चंद्रबाबू नायडू को इस पूरे मामले में आरोपी नंबर एक बताया गया है और उन पर भ्रष्टाचार और राज्य को हिलाकर रख देने वाले इस घोटाले में कैबिनेट को गुमराह करने का आरोप है । और कौशल विकास निगम घोटाला में 371 करोड़ रुपये की चौंका देने वाली सरकारी रकम की हेराफेरी शामिल है ।

News jungal desk: कौशल विकास निगम घोटाले के सिलसिले में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू (N. Chandrababu Naidu) को आपराधिक जांच विभाग (CID) ने आज गिरफ्तार किया है । और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने बताया कि नायडू को नंद्याल में गिरफ्तार किया गया है । आधी रात के बाद भारी नाटकीय घटनाक्रम के बाद सुबह करीब 6 बजे टीडीपी प्रमुख को गिरफ्तार कर लिया गया है । कल देर रात जब सीबीआई अधिकारी नंद्याल के एक समारोह हॉल में पहुंचे और नायडू को गिरफ्तारी वारंट दिया, तो टीडीपी समर्थकों ने उन्हें हिरासत में लेने से रोक दिया था । उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120 (बी), 166, 167, 418, 420, 465, 468, 201 और 109 के साथ-साथ 34 और 37 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम- 1988 के तहत भी आरोप लगाए गए हैं ।

इस बीच कौशल विकास मामले में आंध्र प्रदेश सीआईडी के चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के बाद कई टीडीपी नेताओं को भी नजरबंद कर दिया गया है । और चंद्रबाबू नायडू को इस पूरे मामले में आरोपी नंबर एक बताया गया है और उन पर भ्रष्टाचार और राज्य को हिलाकर रख देने वाले इस घोटाले में कैबिनेट को गुमराह करने का आरोप है. कौशल विकास निगम घोटाला में 371 करोड़ रुपये की चौंका देने वाली सरकारी रकम की हेराफेरी शामिल है. इस घोटाले ने पूरे आंध्र प्रदेश को सदमे में डाल दिया था. नायडू और मामले में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ लगाए गए आरोपों में अनुबंधों में हेरफेर करना, सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करना और कौशल विकास निगम की आड़ में एक धोखाधड़ी योजना को अंजाम देना शामिल है ।

कई एजेंसियों ने की घोटाले की गहन जांच
जीएसटी, इंटेलिजेंस, आईटी, ईडी और सेबी जैसी सरकारी एजेंसियों ने इस घोटाले की गहन जांच की है । और अधिकारियों ने विदेशों में छिपाकर रखे गए लूटे गए धन को सफलतापूर्वक वापस ला दिया है । और जून 2014 में चंद्रबाबू नायडू के सत्ता संभालने के दो महीने बाद ही यह घोटाला सामने आया था। विचाराधीन परियोजना की कुल लागत रु. 3,356 करोड़ है. जिसमें सरकार का योगदान 10 प्रतिशत है, जबकि सीमेंस 90 प्रतिशत फंडिंग के लिए प्रतिबद्ध है. इस घोटाले में एक प्रमुख पक्ष सीमेंस ने आंतरिक जांच की और एक मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक बयान दिया है । सीमेंस ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी कंपनी की सरकार द्वारा जारी संयुक्त उद्यम (JVO) या एमओयू में कोई भागीदारी नहीं थी ।

कौशल विकास योजना में नियमों का पालन नहीं होने का आरोप
कौशल विकास का एक नोट, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) के रूप में अनुमानित लागत दिखाते हुए तय सरकारी प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए कैबिनेट में पेश किया गया था. इस मामले में केंद्रीय मुद्दों में से एक यह तरीका भी है. इस अनियमितता ने तेजी से मंजूरी और रकम जारी करने के साथ मिलकर, नियमों, विनियमों और उचित प्रक्रिया के पालन के बारे में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इसके अलावा अनुबंध और सरकारी आदेश में विरोधाभासी दिखता हैं. क्योंकि रकम स्पष्ट अनुबंध के बगैर जारी की गई थी. आरोप बताते हैं कि वित्त विभाग के अधिकारियों के आपत्ति जताए जाने के बाद भी नायडू ने तत्काल रकम जारी करने के आदेश दिए

शेल कंपनियों के जरिये लेनदेन का आरोप
यह भी पता चला है कि इस पैसे से जुड़े 70 से अधिक लेनदेन शेल कंपनियों के जरिये हुए. एक व्हिसिलब्लोअर ने पहले इस कौशल विकास घोटाले की सूचना राज्य में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को दी थी. इसके अलावा एक सरकारी व्हिसलब्लोअर ने जून 2018 में इसी तरह की चेतावनी जारी की थी. दुर्भाग्य से, इन दावों की प्रारंभिक जांच को अलग रखा गया था. एक परेशान करने वाले मोड़ में, जब ये जांच शुरू हुई तो परियोजना से संबंधित नोट की फाइलें कथित तौर पर नष्ट कर दी गईं ।

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