बिजली बिल दे सकता है ‘झटका’, सरकार ने बदली प्‍लानिंग

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सड़क दुर्घटनाएं रोकने और पर्यावरण प्रदूषण कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कोयले की ढुलाई के लिए अब रेल और समुद्र मार्ग का ज्‍यादा प्रयोग करने की बात कही है। इससे कोयला ढुलाई महंगी हो जाएगी

न्यूज जंगल डेस्क :-आने वाले समय में बिजली उपभोक्‍ताओं का खर्च बढ़ सकता है। कोयले की ढुलाई के खर्च में इजाफा होने की वजह से बिजली कंपनियां आने वाले समय में इलेक्ट्रिसिटी रेट में वृद्धि कर सकती है। हाल ही में केंद्र सरकार ने फैसला लिया था कि एनटीपीसी समेत देश के कई राज्यों को कोयले का ट्रांसपोर्ट रेल और समुद्र के मिले जुले तरीकों से करना होगा। साथ हिनए रेल-शिप-रेल मैकेनिज्म से पावर प्लांट की बिजली बनाने की लागत में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है.

अगर कोयले की जरूरत के पांचवें हिस्से का परिवहन भी नए तरीके से किया जाएगा। साथ ही पावर प्लांट की लागत बढ़ सकती है। अगर इस लागत का हिस्सा ग्राहकों पर डालने का फैसला लिया जाता है तो आपको पहले से ज्यादा बिल चुकाना पड़ेगा। केंद्र सरकार ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि फैसले से सालाना उस पर 200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। पंजाब ने मांग की है कि उसे पूरा कोयला रेल मार्ग से पाने की छूट दी जाए।

ऊर्जा मंत्रालय ने गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और एनटीपीसी को कहा था। कि वो अपनी जरूरत के कोयले में से कुछ हिस्से का ट्रांसपोर्ट रेल-शिप-रेल मोड से करें। इस तरीके से पहले खदानों से कोयला रेल के जरिए नजदीकी बंदरगाह तक पहुंचाया जाता है। फिर समुद्री रास्ते से कोयला पावर प्लांट के नजदीकी बंदरगाह तक पहुंचता है। फिर वहां से रेल के द्वारा ही कोयला पावर प्‍लांट में पहुंचाया जाता है।

इसलिए लिए लिया गया फैसला
देश में कोयले को मुख्य रूप से रेल और सड़क मार्ग से ही देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में भेजा जाता है। साथ ही सड़क मार्ग से कोयले के परिवहन में कई दिक्‍कतें और जोखिम हैं। सड़क मार्ग से कोयला भेजने से जहां दुर्घटनाएं होती हैं। वहीं पर्यावरण प्रदूषण भी ज्‍यादा होता है. कई जगह सड़कें काफी संकरी हैं, इससे कोयले की ढुलाई में ज्‍यादा समय भी लगता है.

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