दलित वोट में सेंधमारी की फिराक में सपाई मनाएंगे पर्व की तरह अंबेडकर जयंती

न्यूज़ जंगल नेटवर्क, कानपुर : अंबेडकर जयंती के बहाने समाजवादी पार्टी दलित वोट बैंक में सेंधमारी की फिराक में है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि न सिर्फ शीर्ष पदाधिकारियों, बल्कि आम कार्यकर्ता भी एक पर्व की तरह अंबेडकर जयंती को मनाए। पार्टी के निर्देश के मुताबिक, सभी पदाधिकारी, कार्यकर्ता और नेता हर जिले, कस्बे और गांव में शाम को दीप प्रज्वलित कर संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर को श्रद्धा सुमन अर्पित करें। कानपुर में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद मौर्य शामिल होंगे।

समाजवादी पार्टी की स्थापना के बाद से यह पहला मौका होगा जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने निचले स्तर पर जाकर निर्देशित किया है कि कोई भी अंबेडकर जयंती को मनाए जाने से वंचित ना रहे। सभी को हर हाल में इस कार्यक्रम में शामिल होना है। यह बात अलग है कि चुनाव बीत चुका है लेकिन जमीन मजबूत करने में सपाइयों को अभी से जुडऩे के लिए कह दिया गया है।

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बसपा के छिटकता वोट बैंक हथियाने की कोशिश 2012 के बाद से सत्ता से बाहर बसपा का वोट बैंक हर चुनाव में कम होता जा रहा है। ऐसे में, बसपा के वोटों को अपने पाले में लाने के लिए सपा सक्रिय हो गई है। 2022 के चुनाव में इसी क्रम में बसपा के सबसे ज्यादा नेताओ को सपाई बनाया गया था। इतना ही नही, पहली बार बड़े पैमाने पर बसपाई से बने सपाइयों को टिकट दी गई थी। इसका फायदा सपा को 2022 के विधानसभा के मुकाबले में हासिल हुआ। पार्टी के विधायकों की संख्या तो बढ़ी लेकिन बहुमत से काफी दूर रही। अब पार्टी एक बार फिर लोक सभा चुनाव 2024 की तैयारी में अभी से जुट गई है। इसी के तहत पहली बार अंबेडकर जयंती बड़े पैमाने पर मनाई जा रही है। इस वजह से मजबूर हुईसपा कभी अंबेडकर जयंती पर सिर्फ खानापूर्ति करने वाली सपा लगभग बसपा की तर्ज पर बाबा साहब का जन्मदिन मनाने को मजबूर दिख रही है। इस बारे में समाजवादी पार्टी के अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रहे सर्वेश अंबेडकर ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर बाबा साहब की जयंती पूरे उत्साह के साथ मनाई जाएगंगी। गांव, जिलों और कस्बों के साथ विधानसभा स्तर पर भी जयंती मनाई जाएगी। पार्टी की तरफ से किया गया ट्वीट समाजवादी पार्टी की प्रदेश इकाई ने एक ट्वीट कर अपने सभी शीर्ष नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक को निर्देश दिया है। इसमें कहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आह्वान पर 14 अप्रैल को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर सपा के सभी पदाधिकारी, कार्यकर्ता, नेता हर शहर, जिले, कस्बे, गांव में शाम को अपने घरों, दुकानों, दफ्तरों व अन्य स्थानों पर स्मृति दीप जला र श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसी के साथ पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं को प्रदेश के किसी न किसी जिलों में जाकर अंबेडकर जयंती में शामिल होने के भी निर्देश बहुत जल्द जारी होने वाले है। दलित वोट बैंक के लिए भाजपा-सपा में कंप्टीशन बसपा का जनाधार लगातार कम होता जा रहा है। इस पर भाजपा और सपा लगातार निगाहें गड़ाए हुए हैं। वर्ष 2022 के हुए विधानसभा चुनाव में बसपा का जनाधार अब तक का सबसे ज्यादा कम हुआ है। आंकड़े बताते है कि 19 फीसदी से बसपा सीधे लगभग 12 प्रतिशत पर पहुंच गई है। पार्टी का कम हुआ वोट बैंक सीधे भाजपा और सपा के खाते में खिसक गया। बसपा के खिसके वोट बैंक के सहारे ज्यादा सीटें लेने में सपा आगे रही है तो भाजपा सरकार बनाने में सफल हुई है। ऐसे में, अब 2024 के लोक सभा चुनाव को लेकर भाजपा और सपा दोनों ही पार्टियां बसपा के वोट बैंक में गिद्ध निगाह लगाए हुए है। भाजपा के लए जहां संघ भी जोर- आजमाइश में लगा हुआ है तो सपा भी कोई कोर- कसर नही छोडऩा चाहती है। ऐसे में, दोनो ही पार्टियों के बीच दलितों के वोट हथियाने की होड़ लगी हुई है। दोनो ही पार्टियां बाबा साहब अंबेडकर को सर माथे पर बैठने को व्याकुल सी दिख रही है। 2019 बसपा-सपा गठबंधन से कम हुई यादव, दलितों के बीच की दूरी 2 जून 1995 को हुए लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड के बाद से दलितों और यादवों के बीच की खाई इतनी गहरी हो गई थी कि जिसका पट पाना आज तक संभव नहीं हो पाया है। हालांकि, सपा ने बसपा से 2019 में लोक सभा चुनाव में झुक कर समझौता जरूर किया था लेकिन दलितों के वोट सपा और यादवों के वोट बसपा में पूरी तरह से परिवर्तित नहीं हो पाए थे। फिर भी सपा और बसपा के बीच चला आ रहा 36 का आंकड़ा खत्म होने का काम जरूर हुआ था। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को पहली बार बड़े पैमाने पर दलित वोट मिले। अब सपा इस वोट बैंक के प्रतिशत को बढ़ाने में लग गई है।

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