अजय देवगन की ‘दृश्यम २ जानें कैसी है फिल्म…

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Drishyam 2 Review: अजय देवगन की ‘दृश्यम 2’ के साथ कुछ अधूरे सवालों का जवाब देने के लिए वापस आ गयी है। जानें कैसी है फिल्म

न्यूज जंगल डेस्क :- अजय देवगन (Ajay Devgn) की अब तक की सबसे लोकप्रिय और बहुचर्चित फिल्मों में से एक ‘दृश्यम’ अपने दूसरे भाग ‘दृश्यम 2’ (drshyam 2) के साथ कुछ अधूरे सवालों का जवाब देने के लिए वापस आ गयी है, दरअसल बता दें कि 7 साल पहले जिस मर्डर केस की फाइल बंद हुई थी, वो दोबारा खोली गई है, 2 अक्टूबर और 3 अक्टूबर की रात क्या हुआ? विजय सालगांवकर ने अपने परिवार को बचाने के लिए जिस डेड बॉडी को छिपा दिया वो मिली या नहीं? अगर मिल गई तो अब वो क्या करेगा? इन सभी सवालों के जवाब आपको ‘दृश्यम 2 (drshyam 2) मिलेंगे

शुरुआत के 10 मिनट तो आपको ऐसे लगेंगे जैसे आप ‘दृश्यम’ नहीं शायद कोई और मूवी देख रहे हैं, लेकिन तभी आपको महसूस होगा की आप तो 2 अक्टूबर, 2014 में वापस पहुंच गए हैं? बता दें कि फिर धीरे-धीरे कहानियां (stories) और कड़िया जुड़ती चली जाएंगी? इस फिल्म की अच्छी बात ये है कि ‘दृश्यम’ के ही सभी कलाकार आपको दूसरे भाग में भी देखने को मिलेंगे, जिससे दर्शक 7 साल के गैप के बावजूद फिल्म से कनेक्टेड रहेंगे। मुख्य किरदार विजय, नंदिनी, अंजू और अनू, आईजी मीरा राजपूत, महेश देशमुख के अलावा सब इंस्पेक्टर (Inspector) गायतोंडे से लेकर छोटी सी कैंटीन चलाने वाला मार्टिन और विजय की मिराज केबल का मैनेजर भी आपको वही मिलेगा। लेकिन इनके साथ जोड़े गए हैं कुछ नए किरदार, जो कहानी को दिलचस्प और नया मोड़ देते हैं।

‘दृश्यम 2’ (drshyam 2) का फर्स्ट हाफ?

दरअसल बता दें कि इंटरवल से पहले वाले भाग की बात करें तो, इसमें कहानी धीरे-धीरे आगे अपने अंजाम की ओर बढ़ती है, या यूं कह सकते हैं कि आगे क्या होने जा रहे है इसके लिए आपको तैयार किया जा रहा है,लेकिन इन सबके बीच दिल की धड़कनें बराबार बढ़ी रहेंगी, 7 साल तक एक आम जीवन जीने की कोशिश में लगा विजय का परिवार अब तक उस भयानक हादसे से पूरी तरह से उबर नहीं पाया है, मगर फिर भी खुश (Happy) रहने की कोशिश करता है।

हालांकि, इन सात सालों में विजय अब एक मामूली केबल ऑपरेटर से सिनेमाहॉल (sinemaahol) का मालिक बन चुका है। इतना ही नहीं फिल्मों का शौकीन विजय खुद के पैसों से एक फिल्म बनाने की तैयारी भी कर रहा है, जिसकी कहानी भी वो खुद ही ‘गढ़’ रहा है। जी हां, ‘गढ़ रहा है’ क्योंकि ‘लिखता कोई और है, इन्हीं सबके बीच मुसीबत भी सालगांवकर (Salgaonkar) परिवार की ओर तेजी से बढ़ रही है। जैसा कि विजय (vijay) कहता है ‘सच पेड़ की बीज की तरह होता है जितना चाहे दफना लो एक दिन बाहर आ ही जाता है।’

वैसे ही सैम की मर्डर मिस्ट्री का सच भी बाहर आ ही जाता है। पहला भाग खत्म होते होते विजय (vijay) और उसके परिवार पर नए आईजी की तलवार लटकने लगती है?2 अक्टूबर की रात लाश को दफनाते हुए किसी ने विजय को देख लिया था और यहीं से शुरू होता है ‘दृश्यम 2’ का मेन प्लॉट। ये शख्स विजय और उसके परिवार के लिए परेशानी का सबब बन जाता है, वहीं पहला भाग खत्म होते होते आपको ऐसा भी लगेगा अब सब खत्म। लेकिन असल कहानी यहीं से शुरू होती है।

फर्स्ट हाफ आपको केवल दृश्यम 1 से जोड़ती है, ताकि सारे किरदारों से आप एक बार फिर रू-ब-रू हो जाएं। आईजी मीरा देशमुख की वापसी हो जाती है। वहीं नया आईजी तरुण अहलावत दोबारा से सैम मर्डर मिस्ट्री की फाइल को खोलता है। जांच शुरू हो गई है पुलिस के पास परिवार के खिलाफ कुछ सुबूत भी बरामद हो गए हैं। पहला हिस्सा काफी दिलचस्प है। मगर असली रोलर कोस्टर राइड की शुरुआत इंटरवल (Interval) के बाद से होती है?

इंटरवल के बाद?

दूसरे भाग में पुलिस स्टेशन से एक कंकाल भी बरामद हो जाता है और विजय अपना गुनाह भी कुबूल कर लेता है, जो आप ट्रेलर में पहले ही देख चुके हैं। यही वो पल होता है जब आप दुखी हो जाएंगे और जैसे ही डर, घबराहट और उदास महसूस करेंगे, कहानी में एक बार फिर नया मोड़ आएगा और आपको फिर चौकन्ना होकर बैठने की जरूरत पड़ जाएगी। इसलिए इंटरवल में पॉपकॉर्न काउंटर पर ज्यादा समय ना लगाकर आप जल्द ही अपनी सीट पर वापसी कर लीजिएगा, क्योंकि यहां से आपने कुछ भी मिस किया तो आप खुद को अंत तक कोसते रहेंगे।

आपको बता दें कि एक बार फिर पुलिस, कोर्ट कचहरी और जांच पड़ताल का सिलसिला शुरू हो जाता है। इधर आप अपनी कुर्सी से तो चिपके ही रहेंगे, साथ ही अपकी नजरें भी स्क्रीन पर ही गड़ी रहेंगी। क्योंकि अगर आपने पलकें झपकाई तो आप कई दिलचस्प और अहम पहलुओं को मिस कर देंगे। फिल्म के सेकेंड हाफ से लेकर क्लाईमैक्स और एंडिंग तक एक एक कर परतें खुलती जाएंगी और 4 चौथी फेल विजय सालगांवकर और एक चोट खाई मां के बीच जबरदस्त द्वंद देखने को मिलता है।

कुल मिलाकर ये फिल्म आपको शुरू से लेकर अंत तक अपनी सीट से बांधे रखेगी। फिल्म के निर्देशन से लेकर अभिनय तक हर कोई अपने काम मंझा हुआ है, इसमें कोई दो-राय नहीं है, इसी के साथ एक-एक सीन और फ्रेम दर्शकों के दिलो दिमाग पर गहरी छाप छोड़ती है, कहानी (Story) का अंत काफी हैरान कर देने वाला है, जिसे जानने के लिए आपको पूरी फिल्म थिएटर में देखनी चाहिए।


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