न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर वायरल फीवर से गुरुवार को 55 वर्षीय महिला की मौत हो गई। अस्पतालों में आने वाले 60 प्रतिशत मरीज बुखार से पीड़ित बताए जा रहे हैं। प्लेटलेट्स तेजी से कम होने की वजह से मरीज क्रिटिकल हो रहे हैं।



निजी अस्पताल से हैलट रेफर हुई थी महिला
गुरुवार को जिस महिला की मौत हुई वह किदवईनगर निवासी 55 वर्षीय सुरभि थी। उन्हें पहले जीटीरोड के एक नर्सिंग में भर्ती किया गया था। वहां से परिजन उन्हें स्वरूपनगर और फिर सिविल लाइन के एक अस्पताल में इलाज के लिए लेकर गए थे। तबीयत में सुधार नहीं होने पर उन्हें हैलट इमरजेंसी भेजा गया। जहां इलाज के दौरान गुरुवार शाम सुरभि ने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज को बचाना इसलिए भी मुश्किल हुआ, क्योंकि डायबिटीज बढ़ी हुई थी और सांस लेने में भी काफी दिक्कत हो रही थी। मरीज की प्लेटलेट्स भी काफी कम थी।
स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक घटा रही है प्लेटलेट्स
मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ एसके गौतम ने बताया कि निजी अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों पर स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक का ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है। जिसकी वजह से मरीजों की प्लेटलेट्स घट रही है। शरीर से खून भी कम हो रहा है। स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक का ज्यादा इस्तेमाल करने से मरीज की हालत बिगड़ जाती है। गंभीर हालत में हैलट आने वाले मरीजों को इसीलिए बचाना मुश्किल हो रहा है।
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हैलट के वार्ड में सिर्फ बुखार के मरीज
हैलट के प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या का कहना है कि वायरल फीवर के मरीजों के बढ़ने से व्यवस्थाएं बिगड़ गईं हैं। एक दिन में इतने मरीज आ रहे है, जिन्हें संभालना मुश्किल हो रहा है। वार्डों में इस बात का ध्यान रखने की कोशिश कर रहे है कि एक बेड पर एक मरीज ही भर्ती किया जाए। अन्य वार्डों में भी मरीज शिफ्ट किए जा सकते हैं।