एक ही पेड़ से उगा दी 300 वैराइटी; नाम रखा ऐश्‍वर्या, सचिन और नरेंद्र मोदी

न्यूज जंगल डेस्क कानपुर: आम का सीजन अब खत्‍म होने वाला है, लेकिन इस बीच आम को लेकर बेहद खास खबर आई है. आम की खेती के लिए दुनियाभर में मशहूर यूपी के मलीहाबाद में एक किसान ने 120 साल पुराने पेड़ से आम की करीब 300 किस्‍मों को पैदा किया है.

मलीहाबाद में आम की खेती करने वाले कलीम उल्‍लाह खान बताते है कि सामान्‍य आंखों से देखने पर यह सिर्फ एक आम का पेड़ नजर आता है, लेकिन यह अपने आप में आम की पूरी यूनिवर्सिटी है और दुनिया का सबसे बड़ा आम का ‘कॉलेज’ है. 82 वर्षीय कलीम ने बताया कि बचपन में ही स्‍कूली शिक्षा छोड़कर आम की नई वैराइटी पैदा करने में जुट गए थे. शुरुआत में सात नई किस्‍म के पौधे तैयार किए, लेकिन एक आपदा में सभी नष्‍ट हो गए थे

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1987 से अब तक 300 प्रजातियां बनाईं
कलीम ने बताया कि इसके बाद भी हार नहीं मानी और 1987 से अब तक 120 साल पुराने आम के पेड़ से ही 300 तरह की अलग-अलग प्रजातियां विकसित कीं. इसमें सभी का रंग-रूप, आकार और स्‍वाद बिलकुल अलग है. 120 साल पुराना यह आम का पेड़ करीब 30 फीट का है और इसकी घनी शाखाएं आज भी सूरज की रोशनी को जमीन तक नहीं आने देतीं. कलीम ने कहा, इसकी छांव में बैठकर मैंने अपनी पूरी जिंदगी बिता दी.

सबसे नई किस्‍म ऐश्‍वर्या के नाम पर
कलीम के अनुसार, आम की सबसे नई वैराइटी बॉलीवुड अभिनेत्री और 1994 की मिस वल्‍ड्र विजेता ऐश्‍वर्या के नाम पर रखी गई है. यह अब तक की सबसे अच्‍छी वैराइटी भी साबित हो रही है. कलीम ने कहा, यह आम भी अभिनेत्री की तरह ही बेहद खूबसूरत है. इसका वजन भी एक किलोग्राम तक होता है. कलीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्‍मान में भी एक वैराइटी का नाम रखा है. इसके अलावा महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अनारकली जैसे नामों की किस्‍में भी कलीम के बाग में हैं. उनका कहना है कि आदमी को आता है और चला जाता है, लेकिन आम हमेशा रहते हैं. लोग जब भी इस आम को खाएंगे अपने चहेते क्रिकेटर को याद करेंगे.

कोई भी वैराइटी एकसमान नहीं
कलीम का दावा है कि जिस तरह दो फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते, उसी तरह आम की दौ वैराइटी भी एकसमान नहीं हो सकती है. इसके लिए दो किस्‍मों की कलम लगाकर नई किस्‍म तैयार की जाती है. दोनों कलम को साथ जोड़कर टेप से बांध दिया जाता है और अगले सीजन तक आम की नई वैराइटी तैयार हो जाती है.

रेगिस्‍तान में भी उगा दिया आम
काम को उनकी इस खास प्रतिभा के लिए देश-विदेश में सम्‍मानित किया जा चुका है. साल 2008 में उन्‍हें देश के सबसे प्रतिष्ठत नागरिक सम्‍मान से नवाजा गया, जबकि इरान और यूएई में भी उन्‍हें बुलाकर सम्‍मानित किया जा चुका है. कलीम का कहना है कि वे रेगिस्‍तान में भी आम की फसल उगा चुके हैं.

पर्यावरण से खेती को खतरा
भारत सबसे ज्‍यादा आम की पैदावार करता है, जहां दुनिया का 50 फीसदी आम तैयार होता है. यूपी का मलीहाबाद इस मामले में सबसे बड़ी नर्सरी है, जहां 30 हजार हेक्‍टेअर में आम की खेती होती है, जो देश के कुल उत्‍पादन का करीब 25 फीसदी हिस्‍सा है. कलीम ने कहा, किसान आजकल गलत तकनीक से खेती कर रहे हैं, जिससे नई-नई वैराइटी पर खतरा पैदा हो रहा है. जलवायु भी आम की खेती के लिए जोखिम पैदा कर रही. लेकिन, मैं आम की नई किस्‍में पैदा करने के लिए अपनी अंतिम सांस तक काम करता रहूंगा

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