1 जुलाई से आपके वेतन, छुट्टी और काम के घंटे पर पड़ सकता है बड़ा प्रभाव

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1 जुलाई से केंद्र सरकार के नए श्रम कोड के लागू होने का अनुमान है। अगल नया लेबर कोड लागू होता है तो काम घंटे बढ़कर 12 हो जाएंगे। इसके साथ ही आपको हफ्ते में केवल 4 दिन ही दफ्तर जाना पड़ेगा।

News Jungal Kanpur Desk : 1 जुलाई से केंद्र सरकार के नए श्रम कोड के लागू होने का अनुमान है। अगल नया लेबर कोड लागू होता है तो काम घंटे बढ़कर 12 हो जाएंगे। इसके साथ ही आपको हफ्ते में केवल 4 दिन ही दफ्तर जाना पड़ेगा। इसका मतलब यह है कि कोई  कर्मचारी जो एक हफ्ते में 3 दिन वीकली ऑफ लेने की इच्छा रखता है, उसे काम करने वाले दिनों में अधिक घंटे काम करना होगा। 

नए लेबर कोड का ऐसे पड़ेगा प्रभाव

काम के घंटे: नियमित काम का समय वर्तमान में 9 घंटे से एक दिन में 12 घंटे हो सकता है। यदि कोई कंपनी 12 घंटे की शिफ्ट का विकल्प चुनने का निर्णय लेती है, तो कार्य दिवसों को सप्ताह में 4 दिन 3 अनिवार्य अवकाश के साथ सीमित करना होगा। कुल मिलाकर, सप्ताह के कुल काम के घंटे 48 घंटों पर अपरिवर्तित रहेंगे।

नए लेबर कोड का ऐसे पड़ेगा प्रभाव

काम के घंटे: नियमित काम का समय वर्तमान में 9 घंटे से एक दिन में 12 घंटे हो सकता है। यदि कोई कंपनी 12 घंटे की शिफ्ट का विकल्प चुनने का निर्णय लेती है, तो कार्य दिवसों को सप्ताह में 4 दिन 3 अनिवार्य अवकाश के साथ सीमित करना होगा। कुल मिलाकर, सप्ताह के कुल काम के घंटे 48 घंटों पर अपरिवर्तित रहेंगे।

केंद्रीय श्रम मंत्रालय द्वारा इस वर्ष मार्च में जारी सूचना के अनुसार, 27, 23, 21 और 18 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने वेतन संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा संहिता के तहत मसौदा नियमों को पूर्व-प्रकाशित कर दिया है। ये चार कोड हैं जिन्हें लागू किया जाना है। चूंकि श्रम संविधान की समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, इसलिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए केंद्रीय कानून के कार्यान्वयन के लिए नियम बनाना आवश्यक है।  

केंद्रीय श्रम मंत्रालय द्वारा इस वर्ष मार्च में जारी सूचना के अनुसार, 27, 23, 21 और 18 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने वेतन संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा संहिता के तहत मसौदा नियमों को पूर्व-प्रकाशित कर दिया है। ये चार कोड हैं जिन्हें लागू किया जाना है। चूंकि श्रम संविधान की समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, इसलिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए केंद्रीय कानून के कार्यान्वयन के लिए नियम बनाना आवश्यक है।  

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