जहाँ चाह वहाँ राह ,सिर्फ सुना है तो जानिए इसका एक अनोखा उदाहरण

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न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर मुंबई के रहने वाले तेजश पाटिल और गौरी सत्यम दोनों आर्किटेक्ट और इंटीरियर डिजाइनर हैं। लंबे वक्त तक दोनों ने डिजाइनिंग के फील्ड में जॉब की है। फिलहाल दोनों मिलकर खुद का स्टार्टअप चला रहे हैं। इसके जरिये वे लोगों को कम कीमत में इकोफ्रेंडली और टिकाऊ घर बनवाने में मदद कर रहे हैं। मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु सहित देशभर में वे इस तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। इससे अच्छी खासी उनकी कमाई भी हो रही है। हर साल करीब 40 लाख रुपए टर्नओवर हासिल हो जाता है।

तेजश और गौरी दोनों ने एक ही कॉलेज से पढ़ाई की है और दोनों की उम्र 36 साल है। तेजश बताते हैं कि पढ़ाई पूरी करने के बाद हम दोनों की अलग-अलग कंपनियों में जॉब लग गई। दोनों अपने-अपने प्रोजेक्ट्स पर काम करने लगे।

हालांकि, बीच-बीच में हम लोग खुद का कुछ शुरू करने को लेकर भी बातचीत करते रहते थे। खुद के स्टार्टअप में दोनों की दिलचस्पी थी, लेकिन उससे पहले इंडस्ट्री एक्सपीरिएंस जरूरी था, इसलिए हमने खुद को और मौका दिया। 2008 से 2015 तक हम दोनों जॉब करते रहे। इस दौरान एक से बढ़कर एक प्रोजेक्ट्स पर हमने काम किया। कई शहरों में इकोफ्रेंडली वीक एंड होम्स तैयार किए, म्यूजियम बनवाए। इससे काफी कुछ सीखने को मिला।

मिडिल क्लास के लोग भी इकोफ्रेंडली घर बनवा सकें, इसलिए शुरू किया स्टार्टअप

तेजश कहते हैं कि नौकरी के दौरान हमें पता चला कि कई ऐसे लोग हैं जो इकोफ्रेंडली घर चाहते हैं, लेकिन उनके पास उतना बजट नहीं होता है। इसलिए वे लोग मन मसोसकर रह जाते हैं। मुझे लगा कि बड़े लोगों के लिए हम इकोफ्रेंडली घर बना रहे हैं, यह बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं है। बेहतर तब होगा जब हम कम बजट में और सीमित संसाधनों में घर तैयार कर सकें, जिससे मिडिल क्लास फैमिली को भी उसका लाभ मिल सके।

इसके बाद तेजश ने इस आइडिया को लेकर गौरी से बात की। उन्हें भी तेजश का आइडिया पसंद आया और दोनों साथ काम करने के लिए राजी हो गए। साल 2015 में दोनों ने अपनी-अपनी नौकरी छोड़ दी और UNTAG नाम से अपना स्टार्टअप शुरू किया।

शुरुआत में खुद ही लोगों के पास जाकर अपना काम बताते थे

तेजश कहते हैं कि हम दोनों ही मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। हमारे लिए नौकरी छोड़कर स्टार्टअप शुरू करना आसान नहीं था। शुरुआत में डर भी था कि हम जो अब तक की सेविंग है वो भी इसमें डूब न जाए। इसलिए हमने कम बजट के साथ काम करना शुरू किया। खुद का ऑफिस खोलने की बजाय हम रिमोट लोकेशन से ही लैपटॉप के जरिए काम करते थे और प्रोजेक्ट को लेकर को-ऑर्डिनेट करते रहते थे।

वे कहते हैं कि हमारे पास अनुभव और आइडिया दोनों था, लेकिन लोग हमें जानते नहीं थे। मार्केटिंग और प्रोमोशन पर ज्यादा खर्च करने के लिए हमारे पास बजट भी नहीं था। इसलिए हमने तय किया कि हम खुद ही लोगों के पास जाएंगे और अपने काम के बारे में बताएंगे।

इसके बाद तेजश और गौरी दोनों अलग-अलग शहरों में जाकर लोगों से मिलने लगे और अपने काम के बारे में बताने लगे। शुरुआत में लोगों को कन्विंस करना थोड़ा मुश्किल जरूर था, लेकिन धीरे-धीरे लोग उनके काम में दिलचस्पी लेने लगे और दोनों को प्रोजेक्ट्स मिलते गए।

इसके बाद हमने सोशल मीडिया और खुद की वेबसाइट के जरिए अपने काम को प्रमोट करना शुरू किया। लोगों को हमारे बारे में जानकारी मिलती गई। वे कहते हैं कि अब हमें कस्टमर के पास सीधे नहीं जाना पड़ता है। लोग खुद ही हमारी वेबसाइट या सोशल मीडिया के जरिए हमसे कॉन्टैक्ट करते हैं और अपनी जरूरत बताते हैं। दोनों मिलकर अब तक करीब 50 प्रोजेक्ट पर काम कर चुके हैं।

कैसे करते हैं काम? क्या है बिजनेस मॉडल?

तेजश कहते हैं कि हम कॉन्ट्रैक्टर नहीं हैं और न ही हम कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं। हम कस्टमर की डिमांड और बजट के मुताबिक ऑन द पेपर घर की डिजाइन बनाते हैं। जैसे दीवार कैसी होगी, छत कैसा होगा। विंडो कैसी और कहां होगी। सोलर प्लेट कहां लगेगा। रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम कैसा होगा?

इसके बाद हम कारीगर को डिजाइन समझाते हैं और उसकी प्रोसेस बताते हैं। इसमें लगने वाले रॉ मटेरियल और लेबर आउटसोर्स करने में भी हम उनकी मदद करते हैं। इतना ही नहीं हम समय-समय पर हम खुद साइट पर जाकर देखते भी हैं कि काम मॉडल और डिजाइन के मुताबिक हो रहा है कि नहीं।

वे बताते हैं कि हम कस्टमर्स से सिर्फ डिजाइन का पेमेंट लेते हैं। बाकी रॉ मटेरियल और लेबर का कॉस्ट या उसकी व्यवस्था कस्टमर खुद ही अपनी सुविधानुसार करता हैं। हम उसमें दखल नहीं देते हैं। यानी, मजदूर से लेकर मैटीरियल तक सब कुछ कस्टमर का होगा। हां, अगर कस्टमर को इनकी व्यवस्था में दिक्कत आती है तो हम अपने लेवल पर मदद की कोशिश करते हैं। हमारी प्रायोरिटी रहती है कि ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों को काम मिले और स्थानीय रॉ मटेरियल का ही इस्तेमाल हो।

क्यों खास है यह घर?

तेजश बताते हैं कि हम इकोफ्रेंडली के साथ-साथ कॉस्ट इफेक्टिव और सस्टेनेबल घर तैयार करवाते हैं। हम सन लाइट और क्लाइमेट की स्टडी करके इस तरह घर का ओरिएंटेशन और डिजाइन तैयार करते हैं कि वह गर्मियों में बिना AC के भी ठंडा रहे और सर्दियों में हीटर जलाने की जरूरत नहीं पड़े। जगह और क्लाइमेट मुताबिक हम इनडोर और आउटडोर प्लाटिंग भी करते हैं।

इसी तरह बारिश का पानी और किचन के इस्तेमाल के बाद वेस्ट वाटर को हम फिर से रिसाइकिल करते हैं और उसे स्टोर करने की फैसिलिटी डेवलप करते हैं, ताकि उसका फिर से इस्तेमाल किया जा सके। साथ ही हम हर घर में सोलर सिस्टम डेवलप करते हैं, जिससे बिना बिजली के लाइट मिल सके और घर की जरूरतें पूरी हो सकें। तेजश कहते हैं कि इस तरह के घर को तैयार करने में करीब 1500 रुपए स्क्वायर फीट के हिसाब से खर्च आता है।

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अगर आप भी इस तरह का कुछ करना चाहते हैं तो ये स्टोरी भी आपके काम की है

उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रहने वाले तीन दोस्तों ने अपनी बंजर जमीन को इको टूरिज्म सेंटर के रूप में तब्दील कर दिया है। उनके यहां न सिर्फ देशभर से बल्कि विदेशों से भी टूरिस्ट आ रहे हैं। इससे सालाना 40 से 50 लाख रुपए का वे बिजनेस कर रहे हैं। 50 से ज्यादा लोगों को उन्होंने रोजगार से भी जोड़ा है।

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