दुनिया की लगभग 35 फीसदी आबादी का मुख्य भोजन है गेहूं, जाने इस अनाज से जुड़ी रोचक बातें

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गेहूं में बहुत मात्रा में फाइबर होता है जो पाचनतंत्र के लिए अत्यंत लाभकारी है. हालांकि इसका अधिक सेवन करने पर कब्ज की समस्या हो सकती है. पूरी दुनिया की करीब 35 फीसदी आबादी का मुख्य भोजन गेहूं ही है.

न्यूज़ जंगल नेटवर्क, कानपुर : भारत के धार्मिक व आयुर्वेदिक ग्रंथों में गेहूं को जीवन देने वाला कहा गया है. यह एक ऐसा जीवनदायिनी अन्न है, जिसकी एक स्थल पर उत्पत्ति नहीं मानी जाती. हजारों वर्ष पहले गेहूं अनेक देशों और सभ्यताओं में पैदा हुआ और अपना प्रसार करता गया. अंटार्कटिका क्षेत्र को छोड़कर गेहूं की खेती पूरी दुनिया में होती है. यह भोजन का प्रमुख अंग है, इसके बावजूद अन्न के रूप में उगने वाली फसलों में पहला नाम मक्का का है. जिस प्रकार आबादी के मसले पर चीन पहले नंबर पर है और भारत दूसरे नंबर पर. यही स्थिति गेहूं को लेकर भी है.

प्रेमचंद की कहानी ‘सवा सेर गेहूं’ और लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी के निबंध ‘गेहूं और गुलाब’ को अगर आप पढ़ लें तो जान जाएंगे कि भारतीय संस्कृति और जनमानस में गेहूं की कितनी गहरी पैठ है. भारत में भी गेहूं का उपयोग हजारों वर्षों से हो रहा है. मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई से पता चला कि साढ़े चार हजार साल पहले सिंधु घाटी की सभ्यता में गेहूं की खेती हो रही थी. तब गेहूं के भंडारण की भी क्षमता प्राप्त कर ली गई थी. उसी दौरान यूनान, फारस, तुर्की व मिस्र आदि सभ्यताओं मे गेहूं की खेती की जा रही थी. इतिहासकारों को रूस के दक्षिणी भाग यूक्रेन में लगभग 4,000 वर्ष ईसा पूर्व के गेहूं के दाने मिले हैं.

गेहूं उगाने में प्रथम स्थान पर चीन है तो दूसरे स्थान पर भारत. इसके बाद अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा में गेहूं की खूब खेती होती है. पूरी दुनिया की करीब 35 प्रतिशत आबादी का मुख्य भोजन गेहूं ही है. इसके बावजूद उगाए जाने वाले अन्न में पहला स्थान मक्का का है, दूसरे नंबर पर गेहूं और तीसरे स्थान पर चावल का नंबर आता है. विशेष बात यह है कि विश्व को भोजन से जितनी कैलोरी प्राप्त होती है, उसका 20 प्रतिशत हिस्सा गेहूं से ही मिलता है

एक सरकारी जानकारी के अनुसार भारत में सबसे अधिक गेहूं उगाने का श्रेय उत्तर प्रदेश (34.89 प्रतिशत) को है. आपको बता दें कि यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार देश का 93.31 फीसदी गेहूं पैदा करते हैं. भारत में रोटी के लिए गेहूं का इस्तेमाल सबसे अधिक होता है. दलिया के लिए भी पूरे भारत में गेहूं का चलन है.

वेद-पुराणों में गेहूं (अन्न) को पूजनीय बताया गया है. यज्ञ में गेहूं की आहूति दी जाती है. भारतीय पर्व-त्योहार में गेहूं की खूब महिमा है. देश के प्राचीन आयुवेर्दिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में गेहूं को जीवन देने वाला कहा गया है. इसे आयु को स्थिर करने वाला और वातनाशक भी बताया गया है. आयुर्वेद के अन्य ग्रंथ ‘भावप्रकाश निघण्टु’ में गेहूं की तीन किस्मों की जानकारी दी गई है और तीनों को शरीर के लिए पोषक कहा गया है

आहार विशेषज्ञ व योगाचार्य रमा गुप्ता के अनुसार गेहूं की तासीर ठंडी होती है. यह चिकना होता है और गैस और पित्त को नियंत्रित करने में सहायता करता है. गेहूं में बहुत मात्रा में फाइबर होता है जो पाचनतंत्र के लिए अत्यंत लाभकारी है. इसका अधिक सेवन करने पर कब्ज की समस्या हो सकती है. भारत की अन्य भाषाओं में गेहूं का नाम- उड़िया में गहना, गुजराती में घवम, तेलुगु में मोदुमुलु, तमिल में गोदूमाई, मलयालम में गेंदुम, कन्नड़ मे गोधी, बंगाली में गींउ, मराठी में गोहुम, इंग्लिश में Wheat.

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