व्यापक रूप में फैलने से पहले ही काल बना ओमिक्रोन, डा. ने की तीन की हत्या

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न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर कानपुर के कल्याणपुर में रहने वाले डॉ. सुशील कुमार ने शुक्रवार शाम पत्नी और बेटे-बेटी की हत्या कर दी। डॉक्टर ने जो नोट छोड़ा है, उसमें लिखा है कि कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के आने के बाद अब और लाशें नहीं गिननी हैं। ये सबको मार डालेगा। डॉक्टर ने ये भी लिखा है कि उसे कोविड रिलेटेड डिप्रेशन है। डॉ. सुशील कानपुर के रामा मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख हैं।

कोरोना की दोनों लहरों में उनकी ड्यूटी कोविड हॉस्पिटल में लगाई गई थी। कोविड की दोनों लहरों में उन्होंने यहां सकैड़ों लोगों को मरते देखा है। हालांकि, पत्नी बच्चों की हत्या के बाद वह घर से फरार हो गए थे। तब से डॉक्टर का पता नहीं चल पाया है। पुलिस ड्रिप्रेशन के अलावा अन्य एंगल पर भी जांच कर रही है।

पत्नी, बेटा और बेटी की हत्या की
इंद्रानगर में डिविनिटी अपार्टमेंट में डॉ. सुशील कुमार अपनी पत्नी 48 साल की चंद्रप्रभा के साथ रहते थे। उनके बेटे 18 साल के शिखर सिंह और बेटी 16 साल की खुशी सिंह भी इसी अपार्टमेंट में रहते थे। शुक्रवार शाम 5.32 बजे डॉ. सुशील कुमार ने अपने भाई सुनील को आखिरी मैसेज किया। इस मैसेज को पढ़ने के बाद सुनील अपार्टमेंट पहुंचे। दरवाजा अंदर से बंद मिला। उन्होंने दरवाजा तुड़वाया। अंदर पहुंचे तो उन्हें चंद्रप्रभा, शिखर और खुशी की लाश मिलीं। इस दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंच चुकी थी। भाई सुनील के मुताबिक, डॉ. सुशील कुछ समय से डिप्रेशन में थे। वह हत्या के बाद कहां है, ये किसी को नहीं पता है। इसलिए पुलिस उनकी तलाश कर रही है।

पत्नी के सिर पर वार, बेटे-बेटी का गला घोंटा
उन्होंने पहले पत्नी के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया। फिर बेटे और बेटी का गला घोंट दिया। सुशील ने शाम करीब साढ़े 5 बजे अपने भाई डॉ. सुनील को मैसेज भेजा कि पुलिस को इनफार्म करो, मैंने डिप्रेशन में हत्या कर दी है। इसके बाद पुलिस को जानकारी दी गई, लेकिन उससे पहले वह फरार हो गया। मौके से 10 पेज का एक नोट मिला है। इसमें लिखा है कि अब और कोविड नहीं, ये कोविड अब सभी को मार डालेगा। ओमिक्रॉन किसी को नहीं छोड़ेगा, अब लाशें नहीं गिननी हैं। अपनी लापरवाही के चलते करियर के उस मुकाम पर फंस गया हूं। जहां से निकलना असंभव हैं

सुसाइड नोट में लिखी ये बातें
‘अब और कोविड नहीं, ये कोविड ओमिक्रॉन अब सभी को मार डालेगा। अब और लाशें नहीं गिननी हैं। अपनी लापरवाही के चलते करियर के उस मुकाम पर फंस गया हूं। जहां से निकलना असंभव हैं। मेरा कोई भविष्य नहीं है। मैं अपने होश-ओ-हवास में अपने परिवार को खत्म करके खुद को खत्म कर रहा हूं। इसका जिम्मेदार और कोई नहीं। मैं लाइलाज बीमारी से ग्रस्त हो गया हूं। आगे का भविष्य कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। इसके अलावा मेरे पास कोई और चारा नहीं है। मैं अपने परिवार को कष्ट में नहीं छोड़ सकता। सभी को मुक्ति के मार्ग में छोड़कर जा रहा हूं। सारे कष्टों को एक ही पल में दूर कर रहा हूं। अपने पीछे मैं किसी को कष्ट में नहीं देख सकता। मेरी आत्मा मुझे कभी भी माफ नहीं करेगी। आंखों की लाइलाज बीमारी की वजह से मुझे इस तरह का कदम उठाना पड़ रहा है। पढ़ाना मेरा पेशा है। जब मेरी आंख ही नहीं रहेगी तो मैं क्या करूंगा’। अलविदा…

सुसाइड नोट में लिखी बात

सुसाइड नोट में लिखी बात

सुसाइड नोट में लिखी बात

सुसाइड नोट में लिखी बात

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सुशील और सुनील दोनों जुड़वा भाई थे
सुशील कुमार रामा मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट (HOD) है। वह कानपुर मेडिकल कॉलेज के छात्र रहे हैं। 15 साल पहले उसने GSVM से MBBS किया है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डीएन त्रिपाठी ने बताया 2 दिन पहले ही सुशील से उनकी मुलाकात हुई थी। बातचीत के दौरान ऐसा नहीं लगा था कि वह मानसिक तनाव में हैं। डॉक्टर सुशील और सुनील दोनों जुड़वा भाई थे।

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