कैंसर जैसी बीमारी से बचने के लिए असरदार है ये पत्तियां, जानें फायदे !

News jungal desk: नीम neem एक प्राकृतिक औषधि है जिसे भारतीय घरेलू चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। नीम के पत्ते न केवल आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग होते हैं, बल्कि आपके स्वास्थ के लिए कई गुणों से भरपूर होते हैं। इसकी पत्तियों को सूबह खाली पेट खाने से आपको अनेकों फायदे होते है. आपकी त्वचा से लेकर आपकी सेहत दोनों ही चमक जाती है भारतीय संस्कृति में, नीम का पेड़ मानव स्वास्थ के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। हमारे पूर्वज नीम के पत्तों का उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज किया करते थे, और इसे अपने दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते थे।

नीम के पत्तो के फायदे और उपयोग

नीम के पत्तियों में विटामिन C, B6,और आंशिक रूप से प्रोटीन होता है, जो आपके शरीर के कोलेजन की निर्माण में मदद करते हैं और त्वचा को स्वस्थ और सुन्दर बनाता हैं। नीम के पत्तों का रस पिने से त्वचा की समस्याओं में भी सुधार आता है, जैसे कि पिम्पल्स, एक्जिमा, और दाद। नीम के पत्तों में अंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते है जो आपके शरीर को स्वास्थ्य रखने में मदद करते हैं। नीम की तासीर ठंडी होती है और यह एसिडिटी सीने में जलन और पाचन को सुधारने में काफी महत्व औषधि मानी जाती है. नीम की पत्तियां पाचन तंत्र से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर देती हैं और पेट से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में मददगार होती हैं।

नीम के पत्ते अगर खाली पेट खाये जाये, तो यह कैंसर से बचाने के लिए उपयोगी साबित होती है। नीम की पत्तियां कोई नेगेटिव प्रभाव नहीं देती हैं। नीम के पत्तों का सेवन सुबह खाली पेट किया जा सकता है। आप नीम के पेड़ से 5 से 10 हरी कपोल पत्तियां तोड़ ले और फिर इसे धोकर अच्छी खाली पेट चबा-चबा कर खालें, इसके अलावा आप उनका रस निकालकर भी पी सकते हैं। इससे कैंसर जैसी बीमारियां दूर रहती है ।

नीम के पत्ते खाने के फायदे (Neem medicinal uses)

  1. नीम के पेड़ से निकली कोई भी चीज खराब नही जाती। त्वचा रोग (स्किन प्रॉब्लम) से संबंधित सभी बीमारियों का निवारण नीम के पत्तो में है।
  2. नीम 40 से अधिक गंभीर बीमारियों में रामबाण औषधि का काम करती है।
  3. बेक्टिरिया, फंगस, कवक, वायरस, परजीवी, सृजन व ज्वरनाशक, इन सबको खत्म करने में बहुत प्रभावी है।
  4. एक शोध के अनुसार, नीम के छाल का अर्क गैस्ट्रिक हाइपरएसिडिटी (गैस्ट्रिक एसिड का अधिक उत्पादन) और अल्सर पर सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है।
  5. नीम की कड़वाहट मधुमेह की समस्या को नियंत्रित करने में सहायक होते है .

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